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बोफोर्स के भ्रष्ट अधिकारियों को मिली दो साल की सजा, यूं की थी धोखाधड़ी

बोफोर्स तोप खरीद संबंधी एक मामले में मुंबई स्थित सीबीआई की विशेष अदालत ने निजी कंपनी के दो अधिकारियों को दोषी करार दिया है। दोनों को आपराधिक साजिश रचने और धोखाधड़ी के आरोप में दो-दो साल की सजा सुनाई है। 

बोफोर्स के भ्रष्ट अधिकारियों को मिली दो साल की सजाअतिरिक्त मुख्य सत्र न्यायाधीश लक्ष्मीकांत बिडवई ने जयंत आयल मिल्स के निदेशक अभय वी उदेशी और कंपनी के कर्मचारी हरीश पांड्या को दोषी ठहराया है। हाल में जारी आदेश में अदालत ने कहा, कि इस धोखाधड़ी से अंतरराष्ट्रीय बाजार में भारत सरकार की साख को नुकसान पहुंचा है। यह पूरी तरह धोखाधड़ी का मामला है। 

25 साल पुराना केस
भारत सरकार ने 1986 में स्वीडन की कंपनी बोफोर्स से 400 155-एमएम की होवित्जर तोप खरीदने का सौदा किया। 1437 करोड़ के इस सौदे में एक शर्त यह भी थी कि तोप बेचने के बदलने बोफोर्स भारत से कुछ सामान जैसे कॉफी, कैस्टर ऑयल और उसके सह उत्पाद जैसे सामानों का आयात करेगी। 

भारत सरकार ने इन सामानों के निर्यात के लिए स्टेट ट्रेडिंग कार्पोरेशन (एसटीसी) को नोडल एजेंसी बनाया। वहीं बोफोर्स ने इसके लिए लंदन की कंपनी एलेक्जेंडर क्रिक्टान कार्पोरेशन को नामांकित किया। 

यूं हुई धोखाधड़ी
जयंत आयल मिल्स लंदन स्थिति कंपनी के जरिए बोफोर्स को कैस्टर ऑयल और उसके बाईप्रोडक्ट देने को राजी हुई। जयंती आयल को निर्यात पर 0.5 फीसदी सेवा कर एसटीसी को देना था। पर जयंत आयल मिल ने 56 मीट्रिक टन स्टेरिक एसिड निर्यात के फर्जी दस्तावेज और एसटीसी के नाम एक चेक तैयार किया, जबकि यह निर्यात हुआ ही नहीं।

कंपनी ने लंदन की एलेक्जेंडर क्रिक्टान कार्पोरेशन में भी फर्जी दस्तावेज जमा कराए। एसटीसी के अधिकारियों ने गड़बड़ी मिलने पर सीबीआई को सूचित किया, जिसने 1992 में जांच शुरू की। 

 

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