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68 साल बाद माना पाक पंजाब; ‘मां-बोली’ पंजाबी ही, स्कूलों में पढ़ाएंगे

dfedres_1457302473दस्तक टाइम्स एजेंसी/चंडीगढ़।1947 में जब देश कटा, भाषाओं का रुतबा भी बंट गया। पाकिस्तान के आधे हिस्से में बोली जा रही पंजाबी गंवारों की भाषा समझी जाने लगी। लेकिन, अब 68 साल बाद तस्वीर बदल रही है। पाक पंजाब (लैहदा पंजाब) के शिक्षा मंत्री अता महमूद मानिका ने स्वीकार किया है कि उनके पंजाब की मां-बाली(मातृभाषा) भी पंजाबी ही है। हां ये सही है कि किन्ही कारणों से इसे काफी पीछे धकेल दिया गया है।
अता महमूद का ये बयान अचानक नहीं आया। इसके लिए वहां पंजाबी बुद्धिजीवी वर्षों से संघर्ष कर रहे हैं। पिछले महीने उनकी मुहिम को उर्दू साहित्यकारों का भी साथ मिला तो ये आंदोलन शुरू हो गया। अब महमूद कह रहे हैं कि पंजाब प्रांत की सरकार पंजाबी भाषा को स्कूली पाठ्यक्रम में शामिल करेगी।
 
21 फरवरी को भड़की चिंगारी देखते ही देखते आंदोलन बन गई, इसलिए झुकना पड़ा सरकार को
– 21 फरवरी को लाहौर में एक सेमिनार हुआ। विषय था-‘क्या पंजाबी दूसरी भाषाओं से कमतर है?’ इसमें पंजाबी भाषा की विरासत पर चर्चा हुई। कई लेखक शामिल हुए।
– 22 फरवरी को लाहौर में पंजाब विधानसभा के बाहर विशाल रैली हुई। इसमें पंजाबी अदबी बोर्ड, पंजाबी अदबी संगत, पंजाबी संगत प्रकाशन, पंजाबी अदबी प्रचार जैसे संगठन उतरे।
– 23 फरवरी को फिर जुटे संगठनों को देखकर राजनीतिक दलों के नुमांइदे भी शामिल हुए। पाक पंजाब के शिक्षा मंत्री अता महमूद मानिका ने मांग पर विचार करने की बात कही।
– 2 मार्च को लाहौर यूनिवर्सिटी ऑफ मैनेजमेंट साइंसिज में डिबेट हुई। विषय था-‘क्या पंजाबी मर रही है?’ इस आयोजन को गुरमानी सेंटर ऑफ लेंग्वेज एंड लिटरेचर का भी सहयोग मिला। इसके बाद पंजाब के शिक्षा मंत्री अता महमूद मानिका को वादा करना पड़ा कि स्कूली पाठ्यक्रम में पंजाबी शामिल की जाएगी।
 
पाक बुद्धिजीवी बोले… पंजाबी से अलग होकर आगे नहीं बढ़ सकते
पंजाबी अदबी बोर्ड के अध्यक्ष मुश्ताक सूफी ने भास्कर को बताया कि पंजाबी पर पाकिस्तानियों का हक है। इसे हमसे अलग नहीं किया जा सकता। दूसरी ओर, भाषा व राजनीति पर कई किताबें लिख चुके पाक लेखक तारिक रहमान ने कहा कि कोई भी कौम अपनी मां-बोली को भूल कर आगे नहीं बढ़ सकती है और हमारी मां-बोली पंजाबी है। इस मुहिम से जुड़े कसवर बट्‌ट कहते हैं कि पंजाबी को फिर से लोगों के करीब लाने का प्रयास किया जा रहा है। इसके लिए पंजाबी लोक संगीत का भी सहारा लिया जा रहा है। बट्‌ट पाक पंजाब में पंजाबी का प्रचार कर रही संस्था ‘पंजाब लोक लहर’ से जुड़े हैं।
 
पहले से थी चर्चा, पर मुकाम मिलने में सियासी कारण आड़े आते गए
पाकिस्तान के निर्माण के समय उर्दू को राष्ट्रीय भाषा घोषित कर दिया गया और तभी से पाकिस्तान में पंजाबी के साथ-साथ सिंधी, पश्तो, बलोची, गुजराती आदि क्षेत्रीय भाषाओं का दमन शुरू हो गया। जबकि इससे पहले उर्दू का उपयोग साहित्यक तौर पर ही होता था। वहीं कुछ हिस्सों में क्षेत्रीय भाषाओं के लिए लिपि का उपयोग किया जाता था। पाकिस्तानी पंजाब में अधिकांश लोग आज भी पंजाबी ही बोलते हैं, लेकिन लिखने-पढ़ते उर्दू में हैं। पाक पंजाब की बोली अमृतसरी पंजाबी जैसी है, लेकिन उर्दू के प्रभाव में ये सिर्फ बोली ही बनकर रह गई है।
 
 
भारत में 3 करोड़, पाकिस्तान में 7.63 करोड़ बोलते हैं पंजाबी
9वीं सबसे ज्यादा बोली जाने वाली भाषा है पंजाबी, पहला नंबर अंग्रेजी का।
13 करोड़ लोग पंजाबी बोलते हैं विश्व में। सबसे ज्यादा पाक में ही हैं।
 
– कैनेडा में पंजाबी भाषा अंग्रेजी और फ्रेंच के बाद तीसरी सबसे अधिक बोली जाने वाली भाषा बन गई है। वहां पंजाबी ने हाल ही में चाइनीज को पीछे छोड़ा है।
– यूके, अमेरिका, खाड़ी देशों, हॉन्गकॉन्ग, सिंगापुर, मलेशिया, फिलीपींस, केन्या, ऑस्ट्रेलिया, न्यूजीलैंड की कई यूनिवर्सिटीज में पंजाबी विभाग हैं।
 

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