89 साल की हो गईं लता, सुरों की देवी को दिया गया था जहर
मुम्बई : सुर साम्राज्ञी लता मंगेशकर का आज 89वां जन्मदिन है। अपनी मधुर आवाज से पिछले कई दशक से संगीत के खजाने में नये मोती भरने वाली लता मंगेशकर 28 सितंबर 1929 को इंदौर में मशहूर संगीतकार दीनानाथ मंगेशकर के यहां पैदा हुईं। दीनानाथ मंगेशकर भी संगीत के बड़े जानकार और थिएटर आर्टिस्ट थे, इसलिए उन्होंने अपनी बेटी को भी बोलना सीखने की उम्र में गाने की शिक्षा देना शुरू कर दी, लेकिन वह भी नहीं जानते थे कि यह काम करके वह अपनी बेटी का नहीं पूरे भारतीय संगीत का भविष्य गढ़ रहे हैं।
लता मंगेशकर तीन बहनों मीना मंगेशकर, आशा भोसले, ऊषा मंगेशकर और एक भाई ह्रदयनाथ मंगेशकर में सबसे बड़ी हैं, उनके बचपन का नाम हेमा था लेकिन एक दिन थियेटर कैरेक्टर ‘लतिका’ के नाम पर उनका नाम लता रखा गया। कम ही लोग जानते हैं कि लता मंगेशकर को उनके करियर की ऊंचाइयों पर पहुंचा देख कोई इतना भी जल उठा था कि उन्हें जान से मारने की कोशिश तक करने से बाज नहीं आया। 1962 में जब लता मंगेशकर 33 साल की थीं तो उन्हें धीमा जहर दिया गया था, लेखिका पद्मा सचदेव ने अपनी किताब ‘ऐसा कहां से लाऊं’ में इस बात को विस्तार से लिखती हैं। पद्मा सचदेव ने अपनी किताब में लिखा कि लता जी जब 33 साल की थीं तो उन्होंने मुझे ये बात बताई थी। एक दिन सुबह उनके पेट में तेज दर्द होने लगा। थोड़ी देर में उन्हें दो-तीन बार उल्टियां हुईं, जिसमें हरे रंग की कोई चीज थी। उन्होंने बताया कि वो बिल्कुल चलने की हालत में नहीं हैं, उनके पूरे शरीर में तेज दर्ज होने लगा। पद्मा सचदेव ने आगे लिखा कि ‘इस स्लो प्वॉइजन की वजह से लता मंगेशकर बेहद कमजोर हो गई थीं, उन्होंने तीन महीने तक बेड रेस्ट किया और कोई गाना नहीं गा पाईं, उनकी आंतों में दर्द रहता था। खाने में भी बेहद सावधानी बरतनी पड़ती थी, उन दिनों लता मंगेशकर केवल ठंडा सूप ही लेती थीं। लता मंगेशकर को जहर देने वाले का नाम आज भी रहस्य ही है, लेकिन बताया जाता है कि उस घटना के बाद से लता जी का कुक फरार हो गया था, जिसके बाद वो कभी अपना बाकी बचा वेतन लेने भी नहीं आया, उस कुक ने लता मंगेशकर के पहले भी कई घरों में काम किया था।