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विवादों के बीच राजन ने जीता PM मोदी का दिल

एजेंसी/114305-modi-rajanनई दिल्ली : रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया के गवर्नर रघुराम राजन के कार्यकाल का विस्तार होने या ना होने को लेकर कई दिनों से गहमागहमी चल रही है। दिग्गज बीजेपी नेता सुब्रह्मण्यन स्वामी खुलकर अपना विरोध जता चुके हैं और कई बार राजन की योग्यता पर सवाल खड़े कर चुके हैं। दूसरी ओर रिपोर्ट्स की मानें तो रघुराम राजन तमाम विवादों के बावजूद प्रधानमंत्री मोदी का भरोसा जीतने में सफल रहे हैं। रिपोर्ट्स का दावा है कि राजन अक्सर दिल्ली आकर प्रधानमंत्री से मिलते हैं लेकिन इन मुलाकातों को सार्वजनिक नहीं किया जाता है।

मोदी सरकार के शपथ ग्रहण के करीब छह महीने बाद से ही राजन को हटाने की मुहिम शुरू हो गई थी। तब वित्त मंत्रालय के अधिकारियों के आरबीआई द्वारा ब्याज दरों में कटौती नहीं होने से राजन से नाराज होने की खबरें आईं थीं। लेकिन इसी बीच प्रधानमंत्री ने वरिष्ठ अधिकारियों को एक बैठक में इस मुद्दे पर सार्वजनिक बयानबाजी से बाज आने की हिदायत दी थी। माना जाता है इसके बाद राजन और प्रधानमंत्री के बीच संबंधों में मधुरता आ गई थी। ऐसे में अब माना जा रहा है कि सितंबर में समाप्त हो रहे राजन के कार्यकाल को एक और मौका मिल सकता है। पूर्व वित्त सचिव अरविंद मायाराम का कहना है कि अगर राजन को दूसरे कार्यकाल के लिए हरी झंडी मिलती है तो वे सरकार के प्रस्ताव को स्वीकार कर लेंगे। मायाराम के मुताबिक भारत की दो ट्रिलियन डॉलर अर्थव्यवस्था को राजन अच्छी तरह से समझते हैं। सरकार के शीर्ष अधिकारियों का कहना है कि राजन के दूसरे कार्यकाल के बारे में प्रधानमंत्री ही फैसला करेंगे। 

राजन के कार्यकाल विस्तार को लेकर चल रही बयानबाजी पर पहली बार चुप्पी तोड़ते हुए ‘द वॉल स्ट्रीट जर्नल’ को दिये इंटरव्यू में प्रधानमंत्री ने कहा था कि आरबीआई गवर्नर का कार्यकाल सितंबर में पूरा हो रहा है। दूसरी अवधि के लिए उसी वक्त फैसला किया जाएगा। अधिकारियों ने नाम न बताने के शर्त पर कहा कि राजन की कार्यप्रणाली से पीएम खुश हैं। उनके खिलाफ चलाए जा रहे किसी भी अभियान का उन पर असर नहीं होगा। हालांकि इस मुद्दे पर न तो पीएमओ न ही वित्त मंत्रालय या राजन की तरफ से किसी तरह की टिप्पणी आई है। राजन के असहिष्णुता पर दिये गए बयान के बाद वो कई दिग्गज बीजेपी नेताओं के निशाने पर थे। सुब्रमण्यन स्वामी ने कहा था कि राजन को वापस शिकागो भेज देना चाहिए। उनके रहते भारतीय अर्थव्यवस्था का भला नहीं होने वाला है। तेजी से बढ़ रही भारतीय अर्थव्यवस्था को जब ‘अंधों में काना राजा’ की संज्ञा दी तो वाणिज्य मंत्री निर्मला सीतारमण ने सार्वजनिक तौर पर उनका विरोध किया था।

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