दलित से शादी क्या की, गांव व रिश्तेदारों ने कागजातों में करार दिया ‘मृत’
टाइम्स ऑफ इंडिया के अनुसार, आधिकारिक तौर पर संतोष 12 साल से मृत हैं और उनकी संपत्ति भी रिश्तेदारों द्वारा बेची जा चुकी है। ऐसा कैसे हो गया उनके साथ। संतोष का कहना है कि वे मराठी दलित महिला से प्यार कर बैठे और उसी से शादी कर ली। 2002 में वे अपनी नवविवाहिता पत्नी के साथ वापस उत्तर प्रदेश के अपने गांव वाराणसी आ गए। लेकिन स्वागत की जगह उन्हें परिवार वालों व पूरे गांव से सामाजिक बहिष्कार का सामना करना पड़ा।
सिंह ने बताया, ’2000 में नाना पाटेकर अपनी फिल्म आंच की शूटिंग के लिए वाराणसी आए थे। वे अपने साथ मुझे मुंबई ले गए और कुक व ड्राइवर के तौर पर काम किया। दो साल बाद मैंने बिना जात पात देखे मराठी महिला से शादी कर ली। शादी के 6 माह बाद जब मैं गांव लौटा तो जिस बात की मैंने कभी उम्मीद नहीं की थी वैसा स्वागत हुआ। वहां लोगों ने मुझे लताड़ा, बेइज्जत किया और घर से धक्का दे दिया। मेरी गलती थी कि मैंने ठाकुर होते हुए दलित से शादी कर ली। पूरे गांव ने मेरा बहिष्कार किया। समय के साथ सब ठीक हो जाएगा सोचकर पत्नी के साथ मुंबई वापस आ गया। एक महीने बाद पता चला कि मेरे चचेरे भाई ने मुझे मृत करार दे दिया है। यहां तक कि उनलोगों ने पूरे रीति रिवाजों के साथ मेरा अंतिम संस्कार किया और डेथ सर्टिफिकेट बनवा लिया।इसी आधार पर मेरे 12.5 एकड़ जमीन भी हथिया लिया। अथॉरिटीज के सामने जिंदा होने के सबूतों को साबित करने का अब तक का मेरा प्रयास व्यर्थ रहा है। सभी कागजात जो मुझे सही साबित कर सकते थे, खत्म कर दिए गए हैं। इसलिए पेपर पर मेरी मृत्यु हो चुकी है।‘
मदद नहीं मिल पाने के कारण 2012 में सिंह धरना पर बैठ गए। वे बताते हैं कि नसीरुद्दीन शाह के साथ पाटेकर यहां मिलने आए थे। यहां तक कि सिंह ने राष्ट्रपति पद के लिए भी प्रतिस्पर्धा किया ताकि वह अपनी बात साबित कर सके। इसी क्रम में उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने दखल दिया और हजरतगंज पुलिस स्टेशन में एफआइआर दर्ज कराया। अभी भी सिंह को उम्मीद है।
उन्होंने कहा, ‘मैं अपनी पत्नी को नहीं छोड़ सकता और न छोड़ूंगा। इस पूरे संघर्ष में वह मेरे साथ रही है। मैं उम्मीद करता हूं कि एक दिन सरकार व गांव के लोग मुझे मेरा हक देंगे।‘