राजस्थान के जयपुर में एक आदिवासी व्यक्ति को अपनी पत्नी का रोज खुले में शौच जाना अच्छा नहीं लगता था, लेकिन आर्थिक स्थिति ठीक न होने के कारण वह घर में शौचालय बनवाने में भी सक्षम नहीं था। आखिर प्रधानमंत्री के स्वच्छता अभियान ने उसे भी प्रेरणा दी। जिसके बाद उसने अपनी बकरी और पत्नी के कुछ जेवर बेचकर उसने घर में शौचालय का निर्माण करा दिया। उसके इस कदम पर नगरपालिका ने भी उसका उत्साह बढ़ाते हुए शौचालय निर्माण में आया, खर्च उसे वापस दिलवा दिया है।
मामला है कि राजस्थान के दुर्गापुर का, जहां दिहाड़ी मजदूरी करने वाले आदिवासी कांति लाल राउत अपनी पत्नी, बच्चों, मां और विधवा भाभी के साथ रहता है। उसके घर में शौचालय नहीं है, जिसकी वजह से घर की औरतों को शौच के लिए बाहर जाना पड़ता था। स्थानीय स्वच्छ भारत अभियान के कार्यकर्ताओं द्वारा शौचालय बनवाने के लिए 4,000-4,000 रुपये राज्य व केंद्र सरकार से मिलने की बात सुनकर उसने शौचालय बनवाना शुरू कर दिया।
पहली बार 4 हजार रुपये की किस्त मिलते ही उसने शौचालय निर्माण शुरू तो करा दिया लेकिन दूसरी किस्त न आने के कारण काम बंद हो गया। इस पर कांति लाल ने अपनी बकरी को बेचकर शौचालय का काम दोबारा शुरू करवाया। लेकिन पैसे फिर कम पड़ गए। लेकिन शौचालय निर्माण का बीड़ा उठा चुके कांतिलाल ने काम नहीं रुकने दिया, और अपनी पत्नी के कुछ जेवर बेचकर शौचालय का काम पूरा करा दिया। उसकी इस पहल पर नगर पालिका ने भी उसका सहयोग किया। नपा अध्यक्ष ने उसके काम की तारीफ करते हुए उसे पूरा पैसा भिजवा दिया ताकि वह अपनी बकरी और गहने वापस ला पाए।