बाबर ने नहीं इस मुस्लिम ने तोड़वाया था अयोध्या का राम मंदिर
उत्तर प्रदेश की सरजमीं पर पहले से ही अयोध्या मंदिर को लेकर कई पार्टियां सियासत की रोटी सेंक चुकी है, अब अगले वर्ष होने वाले विधानसभा चुनाव से ठीक पहले अयोध्या का राम मंदिर मुद्दा एक बार फिर सुर्खियों में है।
प्राचीन सामाग्री व पुरातत्व खुदाई की समीक्षाओं का दिया हवाला
जाने-माने पूर्व आईपीएस अधिकारी की ओर से लिखी गई किताब में दावा किया गया है कि अयोध्या में राम मंदिर बाबर के शासनकाल के दौरान नहीं, बल्कि औरंगजेब के शासनकाल में तोड़ा गया था। ब्रिटिश काल की पुरानी फाइलों, कुछ प्राचीन संस्कृत सामाग्री व पुरातत्व खुदाई की समीक्षाओं का हवाला देते हुए किताब में यह बताने की कोशिश की गई है कि अयोध्या में राम जन्मभूमि मंदिर मौजूद था, जहां बाद में मस्जिद बनाई गई।
कौन हैं किशोर कुणाल?
बिहार मूल के पूर्व आईपीएस अधिकारी किशोर कुणाल की ओर से लिखित पुस्तक अयोध्या रीविजिटेड में मस्जिद के निर्माण काल के बारे में नई बात कही गई है और इस मुद्दे पर पूर्व की मान्यताओं को नकारती है। कुणाल गुजरात कैडर व 1972 बैच के आईपीएस अधिकारी रहे हैं, इसके बाद बिहार धार्मिक न्यास बोर्ड के प्रशासक एवं अध्यक्ष के रुप में भी अपनी सेवाएं दे चुके हैं। इतना ही नहीं गृह मंत्रालय में ओएसडी थे और 1990 में अयोध्या विवाद से आधिकारिक रुप से जुड़े थे।
अयोध्या के इतिहास को दिया नया आयाम
पूर्व प्रधान न्यायाधीश जीबी पटनायक ने किताब की प्रस्तावना लिखी है, जिसमें उन्होंने कहा है कि लेखक ने अयोध्या के इतिहास को नया आयाम दिया है और कई तथ्यों को स्थापित किया है जो आम धारणा और कई इतिहासकारों के मतों के विपरीत हैं। किताब के अनुसार, मंदिर को तोड़े जाने की घटना बाबर के शासनकाल (1528 ई.) में नहीं हुई थी, बल्कि यह घटना औरंगजेब के शासनकाल (1660 ई ) में हुई, जब फेदाई खान अयोध्या में औरंगजेब का गवर्नर था।