EU से अलग होने का खेलों पर होगा असर, फुटबाॅल को उठाना होगा भारी खामियाजा
एजेंसी/ दुनिया के सबसे लोकप्रिय खेल फुटबॉल को ब्रिटेन के यूरोपियन यूनियन (ईयू) से अलग होने का सबसे ज्यादा खमियाजा उठाना पड़ेगा। प्रीमियर लीग में खेलने के लिए जहां खिलाडि़यों का सिरदर्द बढ़ेगा वहीं क्लबों के लिए फुटबॉलरों को खरीदना महंगा पड़ेगा। क्रिकेट और टेनिस भी इससे अछूते नहीं रहेंगे।
यूरोपीय देशों के खिलाडिय़ों को लेना पड़ेगा वर्क परमिट
अभी तक गैर यूरोपियन यूनियन देशों के खिलाडय़ों को प्रीमियर लीग में खेलने के आवदेन करने से पूर्व दो साल तक अपने देश के लिए निश्चित संख्या में मैच खेलने पड़ते थे। तभी उन्हें वर्क परमिट मिलता था। मैचों की संख्या उस देश की फीफा रेंकिंग पर निर्भर करती है।
उदाहरण के लिए फीफा रेंकिंग में पहले दस स्थानों मेें शामिल देशों के खिलाडिय़ों को दो साल में कुल तीस प्रतिशत मैचों में खेलना पड़ता था। ब्रिटेन के यूरोपीयन यूनियन से अलग होने से यूरोपीय खिलाड़ी भी इस नियम में बंध सकते हैं।
इससे यूरोपियन यूनियन के खिलाडिय़ों को प्रीमियर लीग में खेलने के लिए परमिट लेना पड़ेगा। इससे इंग्लैण्ड और स्कॉटलैण्ड में खेलने वाले करीब 400 खिलाड़ी इस लीग में खेलने से वंचित हो सकते हैं।
खिलाडिय़ों को खरीदना होगा महंगा
ब्रिग्सेट के कारण यूरो की तुलना में पाउण्ड कमजोर हुआ है। इससे एक क्लब को दूसरे क्लब से खिलाड़ी खरीदने में अधिक पैसे खर्च करने पड़ेंगे। उदाहरण के लिए वेस्ट हैम ने मर्सेले के मिची बतसुहाई को खरीदने के लिए 40 मिलियन यूरो की पेशकश की थी। ब्रिक्सेट से पहले वेस्ट हेम को 31 मिलियन पाउण्ड देने पड़ते। पाउण्ड कमजोर होने के कारण अब उसे 34 मिलियन पाउण्ड देने पड़ेंगे।
स्पेन की ला लीगा लीग पर भी असर
स्पेन की लीग में एक क्लब से अधिकतम तीन गैर यूरोपीय यूनियन देशों के खिलाड़ी खेल सकते हैं। इंग्लैण्ड के बड़ी संख्या के खिलाड़ी इसमें खेलते हैं। अब इंग्लैण्ड गैर यूरोपीय यूनियन वाला देश हो गया है। इसलिए स्पेन के क्लबों के सामने अंग्रेज खिलाडिय़ों को समाहित करने में दिक्कत आएगी।
इंग्लैण्ड के खिलाडिय़ों को मिलेगी तवज्जो
अभी तक यूरोपीय देशों के 16 से 18 वर्ष के युवा खिलाड़ी प्रीमियर लीग के लिए इंग्लैण्ड आ जाते थे। इससे स्थानीय युवकों को नामी क्लबों से खेलकर आगे बढऩे का मौका नहीं मिल पाता था। क्रिस्टीयानो रोनाल्डो और थियरी हेनरी ने प्रीमियर लीग खेलकर ही नाम कमाया था।
अभी फ्रांस के एनथनी मार्शल मैनचेस्टर यूनाइटेड, दिमित्री पायेट वेस्ट हैम्स और एनजलो केन्ट लीस्टर्स के लिए खेल रहे हैं। इनके खेलने पर संकट खड़ा हो सकता है। खिलाडिय़ों को आगे आने का मौका मिलेगा।
अफ्रीकी, कैरेबियाई और पैसेफिक खिलाडिय़ों पर संकट
यूरोपीयन यूनियन ने अफ्रीका, कैरेबियन और पैसेफिक समूह के देशों के खिलाडिय़ों को इंग्लैण्ड की काउण्डी क्रिकेट खेलने का अधिकार दिया हुआ था। लगातार चार साल काउंटी खेलने के बाद उन्हें इंग्लैण्ड से खेलने का मौका भी मिलता था।
केविन पीटरसन और एन्ड्रयू स्ट्रॉस ने दक्षिण अफ्रीका से आकर ही इंग्लैण्ड में क्रिकेट करियर बनाया था। वर्तमान मेें इन देशों के करीब 70 खिलाड़ी काउण्टी क्रिकेट खेल रहे हैं। इसी प्रकार सामोआ में जन्मे मनु तुलागी ने इंग्लैण्ड की रगबी की टीम में जगह बनाई। यूरोपीय यूनियन ये अलग होने से अब इन देशों के खिलाड़ी इंग्लैण्ड में नहीं खेलने पर संकट आ सकता है।
विम्बलडन पड़ेगा महंगा
अगले सप्ताह से विम्बलडन शुरू होने वाला है। इस पर कुल 28 मिलियन पाउण्ड खर्च किया जाना है। पुरुष और महिला एकल विजेता को दो मिलियन पाउण्ड इनामी राशि दी जाती है। यूरो की तुलना में पाउण्ड कमजोर होने के कारण आयोजकों को अधिक पैसा खर्च करना पड़ेगा।
गोल्फ बेअसर
गोल्फ ऐसा खेल है कि जिस पर ब्रिग्सेट का कोई असर नहीं होगा। रायडर कप गोल्फ टूर्नामेंट के आयोजकों का कहना है कि हम इस खेल को राजनीति से नहीं जोड़ते। इसका भौगोलिक महत्व ज्यादा है। यूरोपीय यूनियन से अलग होने के बाद भी इसके नियमों में कोई परिवर्तन होने वाला नहीं है। यूरोपीय और गैर यूरोपीय दोनों देशों के खिलाड़ी पहले की तरह इसमें हिस्सा लेते रहेंगे।