देश भर के पुलिस तंत्र को वायरलेस सुविधा के संचालन के लिए स्पेक्ट्रम की आवश्यकता होती है। इससे एक निश्चित फ्रीक्वेंसी पर सभी सेट एक-दूसरे को सूचनाओं व कार्रवाई संबंधी संदेश का आदान-प्रदान करते हैं। सभी राज्य सरकारें इस सुविधा की एवज में एक निश्चित दर से केंद्र को भुगतान करती हैं।
गृह विभाग के सूत्रों की मानें तो वर्ष 03-04 से स्पेक्ट्रम सेवा के तहत आने वाले बिल का भुगतान लापरवाही के साथ किया जा रहा है। ब जितने का बजट जारी हुआ, बिल के सापेक्ष जमा किया जाता रहा। नतीजा यह हुआ कि चालू वित्तीय वर्ष तक करीब पौने दो करोड़ की देनदारी गृह विभाग पर आन पड़ी है। यही नहीं इतने सालों में प्रतिमाह लगभग दो फीसदी ब्याज लगाकर यह राशि करीब बाईस करोड़ रुपये की हो गई है।
हाल ही में केंद्र की ओर से एक पत्र आया है, जिसमें यह पैसा न जमा करने की दशा में स्पेक्ट्रम सुविधा से वंचित किए जाने की चेतावनी दी गई, तब जाकर महकमा हरकत में आया। यह स्थिति देख अब केंद्र सरकार को पत्र लिखा गया है, जिसमें ब्याज की राशि से छूट दिए जाने की बात कही गई है।
हालांकि इस पत्र का अभी कोई जवाब नहीं आया है। इस संबंध में गृह विभाग के अफसरों से बात करने की कोशिश की गई, लेकिन सभी चुप्पी साधे हैं।