उत्तर प्रदेश :आगरा में दलितों को रिझाने आएंगे अमित शाह
उत्तर प्रदेश में अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव में भाजपा की प्रतिष्ठा दाव पर लगी हुई है। लोकसभा चुनाव में 73 सीटें जीतने की वजह से पार्टी की ओर सभी की निगाहें लगी हुई हैं। पार्टी के लिए यू.पी. का चुनाव इसलिए भी ज्यादा महत्वपूर्ण है कि यहीं से जीतकर नरेंद्र मोदी प्रधानमंत्री की कुर्सी पर पहुंचे हैं। दिल्ली और बिहार की हार की टीस अभी तक पार्टी नेताओं को कचोटती है।
यू.पी. की हार अमित शाह के साथ ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर भी सवालिया निशान लगा सकती है। इसलिए पार्टी हर हाल में यू.पी. में परचम फहराने के लिए बेचैन है। असम चुनाव में जीत ने पार्टी की हौसला अफजाई जरूर की है पर पार्टी नेतृत्व यू.पी. चुनाव को हल्के में लेने के मूड़ में नहीं है। हाल में केंद्रीय मंत्रिमंडल फेरबदल में भी इसके संकेत साफ दिखे। पार्टी की रणनीति साफ है। वह पिछड़ों और गैर-जाटव मतदाताओं पर अपना पूरा फोकस किए हुए है।
पिछड़े वर्ग के मतदाताओं को लुभाने के लिए वह छोटे-छोटे दलों के साथ गठबंधन भी कर रही है। हाल ही में राजभर समाज को पार्टी के साथ जोडऩे के लिए भासपा से गठबंधन किया है। भाजपा से जुड़े पिछड़े एवं दलित वर्ग के नेताओं पूरे प्रदेश में झोंक दिया है। केंद्रीय मंत्रिमंडल में शामिल की गईं कृष्णा राज को पासी मतदाताओं को रिझाने के काम में लगाया गया है। वह 4 दिनों तक प्रदेश के विभिन्न जिलों में पहुंचकर पासी मतदाताओं को भाजपा के पक्ष में करने का काम करेंगी।