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हाफिज सईद पर दिए फतवे पर दारुल उलूम ने चुप्पी साध ली

देवबंद। आला हजरत दरगाह द्वारा पाकिस्तान के आतंकी संगठन जमात-उद-दावा के चीफ हाफिज सईद के खिलाफ दिए गए फतवे पर इस्लामिक शिक्षण संस्थान दारुल उलूम ने चुप्पी साध ली है। कहा है कि आतंकवाद के खिलाफ पूर्व में दारुल उलूम फतवा जारी कर चुका है। एक फतवे पर बार-बार राय नहीं बदली जा सकती है।

darul_uloom_19_08_2016दारुल उलूम के प्रवक्ता अशरफ उस्मानी ने कहा कि फरवरी 2008 में दारुल उलूम ने सभी फिरकों के लोगों को साथ लेकर एक राय से आतंकवाद को इस्लाम विरोधी करार दिया था। इतना ही नहीं 2013 में जमीयत उलेमा-ए-हिद ने अपने सम्मेलन में विश्व के उलेमा-ए-कराम को बुलाकर इस फतवे पर उनकी भी सहमति ली थी। इसलिए एक फतवे पर बार-बार राय नहीं बदली जा सकती।

उधर, फतवा ऑनलाइन मोबाइल सर्विस के चेयरमैन मुफ्ती अरशद फारुकी ने आला हजरत दरगाह से जारी फतवे पर अपनी प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि यह दरगाह आला हजरत की अपनी राय हो सकती है। कहा कि कादियानियों के अलावा जो भी कलमा पढ़ता है उलेमा उसे काफिर नहीं कहते हैं।

हां, यदि हाफिज सईद मुल्क में बदअमनी का गुनहगार है और भड़काऊ तकरीरें करता है तो उसकी गलत बातों को सुनने से दूर रहने की राय देना सही बात है। गौरतलब है कि आला हजरत दरगाह के दारुल इफ्ता मंजरे इस्लाम से जारी फतवे में सरगना हाफिज सईद को इस्लाम से खारिज बताते हुए उसकी बातों को सुनने को नाजायज बताया है। फतवे में यह भी कहा गया है कि जो मुसलमान सईद की बात को मानेगा वो काफिर होगा।

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