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आज जम्मू जाएगा ऑल पार्टी डेलिगेशन, पंडितों से होगी चर्चा

rajnathश्रीनगर। जम्मू-कश्मीर में शांति बहाल करने कोशिशों को सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल के दौरे से भी धक्का लगा है। अलगाववादियों ने कड़ा रुख अपनाते हुए विपक्ष के पांच सांसदों के उनसे बातचीत के प्रयास को अस्वीकार कर दिया जबकि एक सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल ने मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती और मुख्यधारा के कुछ अन्य नेताओं के साथ चर्चा करके कश्मीर घाटी में 56 दिन से जारी अशांति को समाप्त करने के बारे में विचार विमर्श किया। सोमवार को प्रतिनिधिमंडल जम्मू जाएगा और कश्मीरी पंडितों और कारोबारियों से हालात पर चर्चा करेगी।

गृह मंत्रालय की ओर से जारी एक बयान में कहा गया कि अपने दौरे के पहले दिन प्रतिनिधिमंडल ने समाज के विभिन्न वर्गों से संबंधित करीब 30 समूहों में आये करीब 200 सदस्यों से मुलाकात की तथा जम्मू कश्मीर के वर्तमान हालात को लेकर आम समाधान तक पहुंचने के लिए उनका दृष्टिकोण सुना। केंद्रीय गृह मंत्री राजनाथ सिंह के नेतृत्व वाले प्रतिनिधिमंडल ने मुख्य धारा के वर्गों से मुलाकात की। प्रतिनिधिमंडल के पांच सदस्यों का एक समूह उससे अलग होकर अलगाववादियों से मिलने गया।

चार सांसद, माकपा महासचिव सीताराम येचुरी, सीपीआई नेता डी राजा, जदयू नेता शरद यादव और आरजेडी के जयप्रकाश नारायण समूह से अलग हुए और गिलानी से मिलने के लिए उनके आवास पर गए जहां वह पिछले 60 दिनों से नजरबंद हैं। वहीं, एआईएमआईएम नेता असदुद्दीन ओवैसी हुर्रियत कान्फ्रेंस के उदारवादी धड़े के नेता मीरवाइज उमर फाररूक से चश्मा शाही उप जेल में अलग से मिलने के लिए गए जहां उन्हें बंद रखा गया है।

गिलानी के आवास के गेट सांसदों के लिए खोले तक नहीं गए जबकि बाहर लोगों ने नारेबाजी की। गिलानी ने उन्हें खिड़की से देखा लेकिन सांसदों से मिलने से इनकार कर दिया। यादव ने कहा, ‘हमारा यह प्रयास यह दिखाने के लिए है कि हम किसी से भी बातचीत के लिए तैयार हैं, चाहे वे मिलने के लिए तैयार हों या नहीं।’ समूह जेकेएलएफ प्रमुख यासीन मलिक से भी मुलाकात करने के लिए गया जो हुमामा में बीएसएफ शिविर में हिरासत में है। मलिक ने सांसदों से कहा कि दिल्ली आने पर वह उनसे बातचीत करेंगे।

ओवैसी मीरवाइज से अलग से मिलने के लिए गए। मीरवाइज ने ओवैसी से संक्षिप्त मुलाकात की जिस दौरान मात्र दुआ सलाम हुई। ओवैसी के असफल प्रयास के बाद येचुरी, यादव, राजा और नारायण वाला एक समूह मीरवाइज से मिलने के लिए गया और वे उनके साथ 15 मिनट तक रहे।

समूह ने हुर्रियत के पूर्व अध्यक्ष अब्दुल गनी भट से भी मुलाकात का प्रयास किया लेकिन भट ने भी उनसे बात करने से इनकार कर दिया। भट ने नेताओं का स्वागत किया लेकिन स्पष्ट कर दिया कि यह निर्णय किया गया है कि प्रतिनिधिमंडल के सदस्यों के साथ कोई बातचीत नहीं होगी। ओवैसी ने कहा कि उन्होंने हिरासत में रखे गए नेता शब्बीर शाह से भी कुछ समय के लिए मुलाकात की और वहां उनके साथ नमाज भी अदा की। यद्यपि किसी भी अलगाववादी नेता ने उनसे बातचीत नहीं की।

गनी भट ने कहा, ‘यह व्यर्थ की कवायद है। तब तक कुछ भी ठोस नहीं होगा जब तक कि भारत पाकिस्तान से कश्मीर पर बातचीत नहीं करे। हम तब किसी भी हल तक नहीं पहुंच सकते यदि भारत केवल कश्मीरियों से बात करे या पाकिस्तान कश्मीरियों से बात करे। हमें प्रयास करके इस मुद्दे को सुलझाना चाहिए नहीं तो इससे दोनों पड़ोसी देशों के बीच दुश्मनी उत्पन्न होगी।’ इससे पहले दिन में अलगाववादियों ने सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल से मुलाकात के महबूबा मुफ्ती के आमंत्रण को ठुकरा दिया। अलगाववादियों ने ऐसे कदम को ‘छल’ करार दिया और जोर देकर कहा कि यह ‘मूल मुद्दे के समाधान के लिए पारदर्शी एजेंडा आधारित वार्ता’ का कोई विकल्प नहीं हो सकता।

प्रतिनिधिमंडल यहां पर उस अशांत स्थिति को शांत करने के लिए आया है जो गत आठ जुलाई को हिजबुल आतंकवादी बुरहान वानी के मारे जाने के बाद घाटी में व्याप्त है। प्रदर्शनों के कारण उत्पन्न झड़पों में 71 व्यक्तियों की मौत हुई है और सैकड़ों घायल हुए हैं।

मीरवाइज से मुलाकात के बाद येचुरी ने कहा, ‘हम दोनों पक्षों से आग्रह कर रहे हैं कि पहले सामान्य स्थिति बहाल करिये और सुनिश्चित करिये कि पिछले दो महीने से जारी लोगों की पीड़ा समाप्त हो। बिना शर्त राजनीतिक बातचीत शुरू करिये।’ उन्होंने कहा, ‘जब सरकार नारे देती है, उसके बाद कुछ ठोस कदम भी उठाये जाने चाहिए।’ सीपीएम नेता ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा ‘विकास और विश्वास’ की बात किये जाने का उल्लेख करते हुए कहा, ‘कश्मीरी लोगों के बीच विश्वास बढ़ाने के लिए कोई ठोस कदम नहीं उठाये गए हैं।’

येचुरी ने कहा कि सरकार वाजपेयी का जम्हूरियत, कश्मीरियत और इंसानियत का बयान दोहराती रहती है लेकिन ‘पूर्व प्रधानमंत्री द्वारा नारे के साथ उठाये गए कदमों को भूल जाती है जैसे रमजान के दौरान एकतरफा संघषर्विराम और हिजबुल मुजाहिदीन के साथ बातचीत। (तत्कालीन) उप प्रधानमंत्री लालकृष्ण आडवाणी ने स्वयं हिजबुल नेताओं के साथ कई बार बैठक की।’ इससे पहले ओवैसी ने कहा कि मीरवाइज ने अपने संगठन की ओर से अपनाये गए रुख के कारण कोई भी बातचीत करने में अपनी असमर्थता व्यक्त की।

उन्होंने कहा, ‘मैंने उनसे (मीरवाइज) मुलाकात की और उन्होंने मुझे बताया कि उनके संगठन ने सांसदों के साथ कोई भी बातचीत का अधिकार नहीं दिया है। उन्होंने कोई भी बातचीत करने में अपनी असमर्थता व्यक्त की।’ उन्होंने प्रयास को ‘गतिरोध दूर करने वाला’ बताया और उम्मीद जतायी कि यह जारी रहेगा तथा ‘राज्य एवं केंद्र सरकार की ओर से कुछ रचनात्मक कदम उठाये जाएंगे। बातचीत की यह प्रक्रिया जारी रहनी चाहिए।’

सांसदों का 26 सदस्यीय प्रतिनिधिमंडल यहां आज सुबह पहुंचा और उसने मुख्यमंत्री महबूबा से मुलाकात के साथ अपना संपर्क शुरू किया जिन्होंने सभी हितधारकों के साथ बिनाशर्त बातचीत की जरूरत पर बल दिया।

महबूबा ने फेसबुक पर लिखा कि एसकेआईसीसी में सर्वदलीय शिष्टमंडल से मुलाकात की और सभी पक्षों के साथ बिना शर्त बातचीत की वकालत की। बैठक स्थल पर हालांकि उन्होंने संवाददाताओं से बातचीत करने से इंकार कर दिया। उन्होंने कहा कि वह राज्य के राजनीतिक समूहों के साथ सतत और अर्थपूर्ण बातचीत शुरू करने में मदद को प्रतिबद्ध है, चाहे वे किसी राजनीतिक विचारधारा और राजनीतिक समूह से क्यों न हों।

इसके बाद नेशनल कांफ्रेंस के नेता और पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला के साथ बैठक हुई जिन्होंने राज्य सरकार की सतत विफलता और ढीले ढाले रवैये का आरोप लगाया। शिष्टमंडल के साथ करीब एक घंटे की बातचीत के दौरान उमर ने 1990 में कश्मीर में आए सर्वदलीय शिष्टमंडल का जिक्र किया और कहा कि दुर्भाग्यपूर्ण है कि जब चीजें शांत हो गई तब मुद्दे पर कोई प्रगति नहीं हुई। उन्होंने कहा कि इस बार सांसदों के समक्ष प्रक्रिया में विश्वास बहाल करने का बड़ा दुरूह कार्य है।

उमर ने कहा, ‘एक समय था जब मेरे पिता ने जम्मू कश्मीर को आंतरिक स्वायत्तता प्रदान करने की बात की थी और नयी दिल्ली को चेतावनी दी थी कि यदि वे इसे देने से इनकार करते रहे तो समय आएगा जब वह भी जम्मू कश्मीर के लोगों को स्वीकार नहीं होगा। मेरा मानना है कि हम उसी समय की ओर बढ़ रहे हैं।’ उन्होंने प्रतिनिधिमंडल को बताया कि उनके कार्यकर्ता उन पर दबाव डाल रहे थे कि वह बैठक में शामिल नहीं हों ‘‘स्थिति ऐसी है।’ उन्होंने ‘राज्य सरकार की लगातार विफलता और उसकी टाल मटोल की रणनीति’ की भी बात उठायी।

उन्होंने कहा, ‘महबूबा मुफ्ती को निर्णय करना चाहिए कि वह मुख्यमंत्री रहना चाहती हैं या विपक्ष की नेता। सुबह वह एक बात कहती हैं और शाम तक बिल्कुल ही पलट जाती हैं। वह चाहती हैं कि हुर्रियत से बातचीत होनी चाहिए और शाम को वह उन्हें गिरफ्तार कर लेती हैं।’

कांग्रेस के प्रदेश प्रमुख जी ए मीर ने कहा कि ऐसा लगता है कि शिष्टमंडल के पास कोई खाका नहीं है। उनके पास कोई ठोस पेशकश नहीं है। पीडीपी महासचिव सरताज मदनी ने शिष्ठमंडल से 10 पीडीपी नेताओं के साथ बातचीत की। उन्होंने शिष्टमंडल को जमीनी स्थिति की जानकारी दी। उन्होंने जोर दिया कि पीडीपी, भारत-पाक बातचीत के लिए सेतु बन सकता है।

शिष्टमंडल में शामिल कांग्रेस नेता गुलाम नबी आजाद ने कहा कि पांच सांसदों का अलगावादियों से मिलने का प्रयास उनकी निजी पहल थी। गृह मंत्रालय के आधिकारिक बयान में कहा गया है कि राजनीतिक दलों के अलावा शिष्टमंडल ने शिक्षाविदों, शिक्षकों, छात्र संघों, स्कूल प्रबंधन के प्रतिनिधियों, प्रमुख एनजीओ, लेह, करगिल पहाड़ी संघों, गुरूद्वारा प्रबंधक समिति, फल एवं केसर उत्पादक संघों एवं समाज के लोगों से मुलाकात की ।

इसमें कहा गया कि जम्मू कश्मीर छात्र कल्याण संघ ने सर्वदलीय शिष्टमंडल को सूचित किया कि वे भारत सरकार के साथ मिलकर काम करने और राज्य में सामान्य स्थिति बहाल कने को इच्छुक हैं। बयान में कहा गया है कि विभिन्न राजनीति दलों ने पैलेट गन के उपयोग के कारण नागरिकों के घायल होने पर चिंता व्यक्त की। इसमें कहा गया है कि केंद्रीय गृह मंत्री ने कहा कि वह पैलेट गन के विकल्प के लिए काम शुरू कर चुके हैं जिनमें पावा गोला शामिल है।

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