जीतन राम मांझी : मजदूर से मंत्री तक का सफर
पटना । बिहार के नीतीश कुमार सरकार में अनुसूचित जाति जनजाति कल्याण मंत्री जीतन राम मांझी बिहार के नए मुख्यमंत्री बनने जा रहे हैं। उन्होंने बाल मजदूरी से जीवन की शुरुआत की फिर दफ्तारों में क्लर्की करते-करते विधायक और मंत्री बने। अब मुख्यमंत्री का ताज पहनने जा रहे हैं। महादलित मुसहर समुदाय से आने वाले जीतन राम मांझी का जन्म बिहार के गया जिले के महकार गांव में एक मजदूर परिवार में 6 अक्टूबर 1944 को हुआ। पढ़ाई की कोई व्यवस्था नहीं होने के कारण खेतिहर मजदूर पिता ने उन्हें जमीन मालिक के यहां काम पर लगा दिया। वहां मालिक के बच्चों के शिक्षक के प्रोत्साहन एवं पिता के सहयोग से सामाजिक विरोध के बावजूद उन्होंने अपनी पढ़ाई शुरू की। उन्होंने सातवीं कक्षा तक की पढ़ाई बिना स्कूल गए पूरी की। बाद में उन्होंने हाई स्कूल में दाखिला लिया और सन् 1962 में सेकेंड डिवीजन से मैट्रिक पास किया। 1966 में गया कॉलेज से इतिहास विषय में स्नातक की डिग्री प्राप्त की। परिवार को आर्थिक सहायता देने के लिए आगे की पढ़ाई रोक कर उन्होंने एक सरकारी दफ्तर में क्लर्क की नौकरी शुरू कर दी और 198० तक वहां काम किया। उसी वर्ष नौकरी से इस्तीफा देने के बाद वह राजनीति से जुड़ गए। बिहार में दलितों के लिए उन्होंने विशेष तौर पर काम किया। उनके प्रयास से दलितों के लिए बजट में खासा इजाफा हुआ। वर्ष 2००5 में अनुसूचित जाति एवं जनजाति के लिए बिहार सरकार का बजट 48 से 5० करोड़ रुपये का होता था जो कि 2०13 में 12०० करोड़ रुपये का हो गया। वर्ष 2००5 में बिहार का जितना संपूर्ण बजट हुआ करता था आज उतना सिर्फ दलित समुदाय के लिए होता है।
नीतीश कुमार को उम्मीद है कि महादलित समुदाय से आने वाले मांझी के मुख्यमंत्री बनने से इस समुदाय का फिर से उन्हें समर्थन मिलेगा।