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सेनारी नरसंहार : एक और को मिली फांसी, अब तक 11 को सजा-ए-मौत

18_11_2016-senari_181116_01जहानाबाद के चर्चित सेनारी नरसंहार मामले में आज एक और दोषी को कोर्ट ने फांसी की सजा दी। इसके पहले 10 अन्य दोषियों का फांसी तथा तीन को उम्रकैद की सजा सुनाई जा चुकी है।

पटना [जेएनएन]। बहुचर्चित सेनारी नरसंहार केस में जहानाबाद जिला कोर्ट ने आज भी एक दोषी के लिए सजा-ए-मौत मुकर्रर की। कोर्ट पहले 10 अन्य दोषियों को मौत की सजा सुनाई जा चुकी है। तीन अन्य दोषियों को उम्रकैद की सजा मिली है। दो दोषी अभी भी फरार हैं।

जहानाबाद के एडीजे 3 की कोर्ट ने शुक्रवार को बहुचर्चित सेनारी नरसंहार में दोषी पाए गए दुखन राम कहार को मृत्युदंड की सजा सुनाई। इसके पहले कोर्ट ने बच्चेष सिंह, बुद्दन यादव, बुटाई यादव, सत्येन्द्र दास, ललन पासी, द्वारिका पासवान, करीबन पासवान, गोड़ाई पासवान, उमा पासवान व गोपाल पासवान को फांसी की सजा दी है।

विदित हो कि 18 मार्च 1999 की रात सेनारी में 34 लोगों के हाथ-पांव बांधकर उनके गला रेत दिए गए थे। इस खौफनाक हादसे के एक प्रत्यक्षदर्शी ने बताया था कि हमलावरों ने उसे मरा समझकर गड्ढे में फेंक दिया था। वे एक-एक कर लोगों की गर्दन रेत कर गड्ढे में लाशों को फेंकते जा रहे थे।

दोषियों को सजा के एलान के बाद सेनारी गांव पर प्रतिक्रिया में फिर कोई वारदात न हो जाए, इसके लिए पुलिस पहले से सतर्क है। गांव की सुरक्षा कड़ी कर दी गई है।

क्या था मामला

– 18 मार्च, 1999 की रात जहानाबाद जिले के सेनारी गांव में एक खास अगड़ी जाति के 34 लोगों की गला रेत कर हत्या कर दी गई थी।

– नरसंहार में प्रतिबंधित नक्सली संगठन माओवादी कम्युनिस्ट सेंटर (एमसीसी) को शामिल माना गया था।

– एमसीसी के सैकड़ों लोगों ने 18 मार्च 1999 की रात सेनारी गांव की घेराबंदी कर चुन-चुन कर एक जाति विशेष के पुरुषों को घरों से निकाला। उन्हें गांव के ही ठाकुरबाड़ी मंदिर के पास ले गए। फिर, नरसंहार को अंजाम दिया।

– इस मामले में कोर्ट ने 20 आरोपियों को बरी कर दिया। 70 आरोपियों में से चार की मौत सुनवाई के दौरान ही हो गई। दो दोषी अभी भी फरार हैं।

 

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