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पॉलिटिकल पार्टियों की 75% इनकम अज्ञात सोर्स से तो उनके खातों की जांच क्यों नहीं

adhiya_1482010129भोपाल.नोटबंदी के बाद राजनीतिक दलों के खातों में चाहे जितनी भी रकम जमा हुई हो, उसकी जांच नहीं की जाएगी। सरकार के इस फैसले पर सवाल उठने लगे हैं। साथ ही मांग उठने लगी है कि इस छूट को वापस लिया जाना चाहिए। पूर्व मुख्य चुनाव आयुक्त एसवाई कुरैशी का कहना है कि जब सरकार रिक्शेवाले, सब्जीवाले और मजदूर तक से उसकी आय का हिसाब मांग रही है तो राजनीतिक दलों से क्यों नहीं? वहीं पूर्व जस्टिस संतोष हेगड़े का कहना है कि नोटबंदी के बाद तो राजनीतिक दलों को भी पारदर्शिता से काम करना चाहिए और उन्हें टैक्स संबंधी सभी सुविधाएं भी वापस होनी चाहिए। भास्कर से चर्चा में हेगड़े ने कहा कि यह अाश्चर्यजनक है कि राजनीतिक दलों को सिर्फ उस लेन-देन का ब्योरा चुनाव आयोग के समक्ष पेश करना होता है, जो 20 हजार या उससे ज्यादा हो। इसी का लाभ उठाकर तमाम राजनीतिक दलों पर कालेधन को सफेद करने और चुनावों में बेहिसाब कालाधन खर्च करने के आरोप लगते रहे हैं।
राजस्व सचिव अढिया का जवाब : नोटबंदी के बाद कोई भी पार्टी 500 और 1000 रुपए के पुराने नोटों को चंदे के तौर पर नहीं ले सकत
राजस्व सचिव हसमुख अढिया ने ट्वीट कर कहा- ‘राजनीतिक दलों को दी जा रही कथित छूट से संबंधित रिपोर्ट्स गलत और भ्रामक हैं।’ उन्होंने एक के बाद एक कुल छह ट्वीट में लिखा कि कराधान संशोधन कानून के तहत राजनीतिक दलों को कोई छूट या विशेषाधिकार हासिल नहीं हैं।
राजनीतिक दलों को मिलने वाला चंदा इनकम टैक्स एक्ट, 1961 के सेक्शन 13A के तहत आता है और इसके प्रावधानों में किसी तरह का बदलाव नहीं है। नोटबंदी के बाद कोई भी राजनीतिक दल 500 और 1000 रुपए के पुराने नोटों को चंदे के तौर पर नहीं ले सकता है। यदि कोई पार्टी इसका उल्लंघन करती है तो अन्य लोगों की तरह आयकर एजेंसियां उनसे जवाब तलब कर सकती हैं।
ब्लैक से व्हाइट मनी का ऐसे चलता है खेल
1. पार्टी बनाकर जनप्रतिनिधित्व कानून 1951 के तहत रजिस्टर्ड कराया जाता है। एेसी करीब 1000 राजनीतिक पार्टियां रजिस्टर्ड हैं, जिन्होंने 2014 में लोकसभा चुनाव नहीं लड़ा।
2. कालाधन पार्टी को टुकड़ों में दिया जाता है। ज्यादातर चंदा 20 हजार से कम की रकम में होता है। क्योंकि कानूनन 20 हजार रु. से कम के चंदे का हिसाब पार्टी को किसी को नहीं देना होता है।
3. 20 हजार रुपए से कम चंदा दिखानेे के लिए कार्यकर्ताओं के नाम का इस्तेमाल होता है।
4. पार्टी के अकाउंट में जमा इस राशि पर टैक्स नहीं लगता है। जब चाहे निकाल भी सकते हैं।

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