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चित्रकूट में रामचरित मानस की हस्तलिखित पांडुलिपियों को संरक्षण की दरकार

चित्रकूट में रामचरित मानस की हस्तलिखित पांडुलिपियों को संरक्षण की दरकार
चित्रकूट में रामचरित मानस की हस्तलिखित पांडुलिपियों को संरक्षण की दरकार
  • कामदगिरि परिक्रमा मार्ग में स्थित है तुलसीदास के गुरू नरहरि दास महाराज का महल मंदिर
  • आदिकवि संत गोस्वामी तुलसीदास ने की थी रामचरित मानस की रचना


चित्रकूट: मर्यादा पुरूषोत्तम भगवान श्रीराम की तपोभूमि चित्रकूट धार्मिक, पौराणिक और आध्यात्मिक दृष्टिकोण से समूचे विश्व में आदि तीर्थ के रूप में विख्यात है। धर्म नगरी के सुप्रसिद्ध तीर्थ कामदगिरि परिक्रमा मार्ग स्थित गोस्वामी तुलसीदास के गुरू नरहरि दास महाराज के ‘महल मंदिर’ में सैकड़ों वर्षो से रखीं गोस्वामी तुलसीदास द्वारा हस्त लिखित ‘रामचरित मानस’ के किष्किंधा कांड, अरण्य कांड, उत्तरकांड की समूची एवं अयोध्या कांड की आधी पांडुलिपियों को सुरक्षा और संरक्षण की दरकार है। धर्म नगरी के प्रमुख संतों ने केंद्र और यूपी-एमपी सरकारों से ऐतिहासिक धरोहरों को संरक्षित किये जाने की मांग की है। ताकि आने वाली पीढ़ियों को दुर्लभ पांडुलिपियों के दर्शन हो सके।

विंध्य पर्वत श्रृंखला के मध्य उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश के बीच स्थित भगवान श्रीराम की तपोभूमि चित्रकूट करोड़ों लोगों की श्रद्धा और आस्था का केंद्र है। भगवान श्रीराम ने वनवास काल का सर्वाधिक साढ़े 11 वर्ष का समय इसी पावन भूमि में व्यतीत किया है। प्राकृतिक सौंदर्य से अभिसिंचित तपोभूमि चित्रकूट के प्रमुख तीर्थ कामदगिरि परिक्रमा मार्ग (मध्यप्रदेश क्षेत्र) में करीब 452 वर्ष पूर्व पन्ना के राजा मान सिंह द्वारा गोस्वामी तुलसी दास के गुरू संत नरहरि दास की साधना स्थली को महल की तर्ज पर बनवाया गया था।

जिसकी वजह से इस मंदिर को ‘महल वाले मंदिर’ के रूप में जाना-पहचाना जाता है। इस मंदिर के बाहर आज भी गोस्वामी तुलसीदास जी के गुरू संत नरहरि दास जी की समाधी बनी हुई है। इसी समाधी के समीप कामदगिरि पर्वत पर एक गुफा है, जिसमें गुरू नरहरि दास तप और साधना किया करते थे।

मंदिर में पूजा पाठ करने वाले सुखदेव दास महाराज के बताते हैं कि रामचरित मानस के रचयिता संत गोस्वामी तुलसीदास के गुरु नरहरि दास के ‘महल मंदिर’ में रामचरित मानस के किष्किंधा कांड, अरण्य कांड, उत्तरकांड की समूची एवं अयोध्या कांड की हस्तलिखित आधी मूल पांडुलिपियां 452 सालों से सुरक्षित रखी हुई है। मंदिर के पूर्व महंत राम सजीवन दास ने मंदिर में रखीं रामचारित मानस की हस्त लिखित पांडुलिपियों को ‘धार्मिक निधि’ मानते हुए संरक्षित किया था। सद्गुरु सेवा संघ ट्रस्ट ने भी रुचि दिखाई तथा महंत राम सजीवन दास ने पुरातत्व विभाग को पत्राचार कर इस धार्मिक और ऐतिहासिक धरोहर को संरक्षित करने की मांग की।

पुजारी सुखदेव दास ने बताया कि मंदिर के तत्कालीन महंत राम सजीवन दास द्वारा यहां की पांडुलिपियों को लेकर चित्रकूट (यूपी) के राजापुर स्थित तुलसी मंदिर में मौजूद अयोध्या कांड की पांडुलिपियों से मिलान कराया गया था। इसके अलावा जापान की हस्तलिपि विशेषज्ञ की टीम ने भी महल वाले मंदिर में रखीं रामचरित मानस की पांडुलिपियों को तुलसी कालीन पाया था।

बताया कि वर्ष 2004 में भारत सरकार के पुरातत्व विभाग द्वारा सुरक्षित करने के लिए प्रयास किया गया। पुरातत्व विभाग ने जापान में बने पारदर्शी टिश्यू पेपर को इस पर लगाया गया है। ऐतिहासिक धरोहर को संरक्षित रखने के लिए कागज को लंबे समय तक सुरक्षित रखने वाले केमिकल का आज भी इस्तेमाल किया जा रहा है।

पुजारी सुखदेव दास ने बताया कि नरहरि दास ने महल वाले मंदिर में ही गोस्वामी तुलसीदास जी को गुरूमंत्र दिया था। तुलसीदास ने अवधी में कालजयी कृति रामचरित मानस लिखी, जो सनातनियों के धर्म ग्रंथ के रूप में सदियों से भारतीय समाज का प्रतिनिधि साहित्य बना हुआ है।जिसके चलते दुनिया तुलसी के ही उस राम को जानती है। जिसका चित्रण रामचरित मानस में हुआ है।

उन्होंने बताया कि 1611 ईस्वी में जन्मे तुलसीदास का यज्ञोपवीत संस्कार 1618 ईस्वी में करने वाले संत नरहरिदास ही थे। जिनका गुरूमंत्र पाकर तुलसीदास बड़े संत बने। रामभक्ति के शिखर पर पहुंचकर रामचरित मानस, कवितावली, जानकी मंगल, विनय पत्रिका, गीतावली तथा हनुमान चालीसा आदि की रचना की।

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वहीं कामदगिरि प्रमुख द्वार के महंत मदन गोपाल दास,रामायणी कुटी के महंत रामहृदय दास, भरतमंदिर के मंहत दिव्यजीवन दास, भागवताचार्य आचार्य नवलेश दीक्षित, डा.रामनारायण त्रिपाठी आदि का कहना है कि धार्मिक विरासतों के संरक्षण के प्रति सरकारें कितने संजीदा हैं, जिसका उदाहरण महल वाले मंदिर में रखी संत गोस्वामी तुलसीदास द्वारा रचित रामचरितमानस की हस्तलिखित पांडु लिपियां देखकर लगाया जा सकता है।

उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी एवं उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ एवं मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान से धार्मिक एवं ऐतिहासिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण रामचरित मानस की पांडुलिपियों को संरक्षित करने के पुख्ता इंतजाम करने की मांग की है।

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