बता दे कि 17 राज्यों के जिला सहकारी बैंकों में अभी तक 9000 करोड़ रूपए जमा हो चुके है। सालों से नुकसान झेल रहे ये बैंक में एक मुस्त इतना पैसा आने से सवाल के घेरे में आ गयी हैं।
वही जिला सहकारी बैंकों के पास अचानक पुराने नोटों के रूप में 147 करोड़ रुपये जमा होने के बाद सरकार और नीति निर्माताओं ने इन बैंको को 500 और 1000 के नोट लेने से मना कर दिया। विशेषज्ञों का मानना है कि जिन लोगों की इन बैंकों में अच्छी पहचान थी। उन्होंने अपनी अघोषित रकम को नए नोटों में बदलवा लिया।
नाबार्ड के पूर्व प्रबंध निदेशक डॉ. केजी करमाकर कहते हैं कि कई सालों से जमीनी तौर पर राजनेता मनी लॉन्ड्रिंग के लिए किसानों के नाम पर इन बैंकों में खाते खुलवाते थे। आधिकारियों ने इस बात पर हैरानी जताई है कि अकेले केरल में 1800 करोड़ रुपये इन खातों में जमा हुए जहां खेती पतन की स्थिति में है।