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मुख्यमंत्रियों के पैनल की सिफारिशः 50 हजार से ज्यादा निकासी पर लगे टैक्स

बैंकों से 50 हजार रुपये या उससे ज्यादा की नकद निकासी पर टैक्स लगाने की सिफारिश की गई है। नोटबंदी के बाद देश में डिजिटल पेमेंट को बढ़ावा देने के लिए सुझाव देने को बनी मुख्यमंत्रियों की समिति ने अपनी अंतरिम रिपोर्ट प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को सौंप दी है। उत्तर प्रदेश समेत पांच राज्यों में चुनाव से पहले सामने आई इस रिपोर्ट को लेकर विपक्ष सरकार की घेरेबंदी कर सकता है। सरकारी सूत्रों के अनुसार समिति अंतरिम रिपोर्ट पर प्रतिक्रिया जानने के बाद ही इसमें व्यावहारिक संशोधन कर सकती है। समिति के अध्यक्ष और आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू ने मंगलवार को कहा कि कैश लेनदेन को हतोत्साहित करना और डिजिटल लेनदेन की लागत घटाना डिजिटल भुगतान की सफलता के लिए बहुत महत्वपूर्ण है।
नायडू समिति ने बैंकों से 50,000 रुपये व उससे अधिक की नकद निकासी पर कैश ट्रांजैक्शन टैक्स लगाने का सुझाव दिया है। समिति ने दुकानदारों द्वारा कार्ड भुगतान पर काटे जाने वाले मर्चेंट डिस्काउंट रेट (एमडीआर) को समाप्त करने का भी सुझाव दिया है, ताकि डिजिटल भुगतान को नकदी लेनदेन से सस्ता बनाया जा सके। साथ ही केवाईसी के लिए आधार कार्ड को पहचान के लिए प्राथमिक दस्तावेज के तौर पर मानने की सिफारिश भी की गई है।

समिति की सिफारिश उलझन भरी : कांग्रेस

डिजिटल भुगतान को ध्यान में रखते हुए समिति ने सरकार को कुछ महत्वपूर्ण सुझाव दिए हैं। छोटे कारोबारियों को डिजिटल भुगतान को बढ़ावा देने के लिए स्मार्टफोन खरीदने के लिए एक हजार रुपये की सब्सिडी देने के लिए कहा है।

ऐसा माना जा रहा है कि भारत को कैशलेस राष्ट्र बनाने के लिए मोदी सरकार आगामी बजट में समिति की सिफारिशों को कुछ संशोधनों के साथ स्वीकार करने का एलान कर सकती है। नायडू समिति ने सिफारिश की है कि 1,54,000 डाकघरों में इंटर पोर्टेबल आधार पर एटीएम मशीन लगाई जाए।

आधार कार्ड से संबंधित बायोमेट्रिक, फिंगर प्रिंट की सेंसर मशीन खरीदने के लिए 50 फीसदी सब्सिडी देने की सिफारिश भी की गई है। नायडू ने यह भी सुझाव दिया है कि सभी डिजिटल ट्रांजेक्शन का बीमा हो, ताकि कैशलेस तरीका अपनाने वाले लोगों के पैसे सुरक्षित रहें। 

कांग्रेस प्रवक्ता मीम अफजल ने कहा कि नायडू समिति की यह सिफारिश उलझन भरी है। इससे लोगों में उलझन बढ़ेगी और नोटबंदी से पहले से परेशान लोगों की तकलीफ भी बढ़ेंगी। चुनाव से पहले की यह सिफारिश बहुत गलत है। सरकार को लोगों की मुसीबतें बढ़ाने के बजाय कम करने की ओर ध्यान देना चाहिए। 

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