नई दिल्ली (ईएमएस)। सातवें वेतन आयोग की सिफारिशें लागू होने के बाद भारत के राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी का वेतन संयुक्त सचिव (वरिष्ठ आईएएस अधिकारी) से भी कम हो गया है। हालांकि गृह मंत्रालय ने उनका वेतन बढ़ाने संबंधी प्रस्ताव छह माह पूर्व ही पीएमओ को भेज दिया था, लेकिन यह अब तक पारित नहीं हो पाया है।
एक रिपोर्ट के अनुसार, सरकारी पदक्रम में कैबिनेट सेक्रेट्री का पद सबसे बड़ा होता है, जिनका मौजूदा वेतन 2.5 लाख रुपए मासिक है, जो कि राष्ट्रपति के वेतन से एक लाख अधिक है। राष्ट्रपति का वेतन बढ़ाने संबंधी प्रस्ताव को पीएमओ से अनुमति मिलने के बाद केंद्रीय कैबिनेट में भेजा जाता है। संसद में पास होने के बाद वेतन बढ़ोतरी की जाती है। उल्लेखनीय है कि सातवें वेतन आयोग ने 2016 में केंद्रीय कर्मचारियों के वेतन में 14 फीसदी बढ़ोतरी का प्रस्ताव गया दिया था।
मंत्रालय का प्रस्ताव
गृह मंत्रालय ने छह माह पहले राष्ट्रपति तथा उपराष्ट्रपति पद का वेतन बढ़ाने के लिए एक प्रस्ताव पीएमओ को भेज दिया था। हालांकि इस पर अब तक कोई फैसला नहीं लिया गया है। राष्ट्रपति का वेतन 1.5 लाख रुपए प्रतिमाह से बढ़ाकर पांच लाख रुपए और उपराष्ट्रपति का वेतन 1.1 लाख से बढ़ाकर 3.5 लाख रुपए किए जाने का प्रस्ताव है।
फिर बढ़ सकता है सांसदों का वेतन
संसद की वेतन एवं भत्ता समिति को भी सांसदों के वेतन के बारे में फैसला लेना है। इस समिति ने प्रस्ताव दिया है कि सांसदों का वेतन 1.4 लाख रुपए से बढ़ाकर 2.8 लाख रुपए प्रतिमाह करने की अनुशंसा की गई है।