आपके भाग्य को बताती हैं ये रेखाएं
दुनिया में अक्सर देखा जाता है कि कुछ लोग लाख जतन के वावजूद अपनी आर्थिक ,व्यापारिक या जीवन की स्थिति को बदल नही पाते हैं ,हर कार्य में किसी न किसी वाधा का सामना करना पड़ता है। जबकि कुछ लोगों के कम प्रयास पर ही मनमाफिक सफलता हासिल हो जाती है। यदि किसी व्यक्ति के जन्मकुंडली में करोड़पति होने के योग होते हैं तो वही योग उसकी हस्तरेखाओं में भी स्पष्ट दिखाई देते हैं। ज्योतिष के अनुसार हस्तरेखाएं भी किसी व्यक्ति की जन्मकुंडली की तरह ही कार्य करती है। यदि किसी व्यक्ति के जन्मकुंडली में करोड़पति होने के योग होते हैं तो वही योग उसकी हस्तरेखाओं में भी स्पष्ट दिखाई देते हैं। यदि किसी व्यक्ति को ज्योतिष में महारत हासिल हो तो वह आने वाले कल में होने वाली घटनाओं की जानकारी दे सकता है। भविष्य जानने की कई विद्याएं प्रचलित हैं, इन्हीं में से एक विद्या है हस्तरेखा ज्योतिष। जानिए हस्तरेखा से जुड़ी खास बातें।
जीवन रेखा
जीवन रेखा शुक्र क्षेत्र (अंगूठे के नीचे वाला भाग) को घेरे रहती है। यह रेखा तर्जनी (इंडेक्स फिंगर) और अंगूठे के मध्य से शुरू होती है और मणिबंध तक जाती है। इस रेखा के आधार पर व्यक्ति की आयु एवं दुर्घटना आदि बातों पर विचार किया जाता है।
मस्तिष्क रेखा
यह रेखा हथेली के मध्य भाग में आड़ी स्थिति में रहती है। मस्तिष्क रेखा जीवन रेखा के प्रारंभिक स्थान के पास से ही शुरू होती है। यहां प्रारंभ होकर मस्तिष्क रेखा हथेली के दूसरी ओर जाती है। इस रेखा से व्यक्ति की बौद्धिक क्षमता पर विचार किया जाता है।
ह्रदय रेखा
यह रेखा मस्तिष्क रेखा के समानांतर चलती है। हृदय रेखा की शुरूआत हथेली पर बुध क्षेत्र के नीचे से आरंभ होकर गुरू क्षेत्र (इंडेक्स फिंगर के नीचे वाले भाग को गुरू पर्वत कहते हैं।) की ओर जाती है। इस रेखा से व्यक्ति की बौद्धिक क्षमता, आचार-विचार आदि बातों पर विचार किया जाता है।
सूर्य रेखा
यह रेखा सामान्यत हथेली के मध्यभाग में रहती हैं। सूर्य रेखा मणिबंध (हथेली के अंतिम छोर के नीचे आड़ी रेखाओं को मणिबंध कहते हैं।) से ऊपर रिंग फिंगर के नीचे वाले सूर्य पर्वत की ओर जाती है। वैसे यह रेखा सभी लोगों के हाथों में नहीं होती है। इस रेखा से यह मालूम होता है कि व्यक्ति को मान-सम्मान और पैसों की कितनी प्राप्ति होगी।
भाग्य रेखा
यह हथेली के मध्यभाग में रहती है तथा मणिबंध अथवा उसी के आसपास से आरंभ होकर शनि क्षेत्र (मिडिल फिंगर यानी मध्यमा अंगुली के नीचे वाले भाग को शनि क्षेत्र कहते हैं।) को जाती है। इस रेखा से व्यक्ति की किस्मत पर विचार किया जाता है।
चंद्र रेखा
इस रेखा से व्यक्ति के विदेश जाने का और भाग्य का पता लगता है। यह रेखा चन्द्र पर्वत को घेरते हुए चलती है। जिस व्यक्ति के हाथ में ये रेखा हो वह विदेश जाता है और अपनी क्रिएविटी के लिए प्रसिद्ध होता है।
स्वास्थ्य रेखा
यह बुध क्षेत्र (सबसे छोटी अंगुली के नीचे वाले भाग को बुध पर्वत कहते हैं।) से आरंभ होकर शुक्र पर्वत (अंगूठे के नीचे वाले भाग को शुक्र पर्वत कहते हैं) की ओर जाती है। इस रेखा से व्यक्ति की स्वास्थ्य संबंधी बातों पर विचार किया जाता है।
विवाह रेखा
यह बुध क्षेत्र (सबसे छोटी अंगुली के नीचे वाले भाग को बुध क्षेत्र कहते हैं।) पर आड़ी रेखा के रूप में रहती है। यह रेखा एक से अधिक भी हो सकती है। इस रेखा से व्यक्ति के विवाह और वैवाहिक जीवन पर विचार किया जाता है।
संतान रेखा
यह बुध क्षेत्र (सबसे छोटी अंगुली के नीचे वाले भाग को बुध क्षेत्र कहते हैं।) पर खड़ी रेखा के रूप में रहती है। यह रेखा एक से अधिक भी हो सकती है। इस रेखा से मालूम होता है कि व्यक्ति की कितनी संतान होंगी। संतान रेखा से यह भी मालूम हो जाता है कि व्यक्ति को संतान के रूप में कितनी लड़कियां और कितने लड़के प्राप्त होंगे।