अन्तर्राष्ट्रीय

सालाना बजट में चीन ने रक्षा खर्च पर नहीं की कुछ बात

चीनी संसद नेशनल पीपुल्स कांग्रेस की प्रवक्ता फ्यू इंग ने शनिवार को कहा था कि इस वर्ष रक्षा बजट में करीब सात फीसद की वृद्धि होगी।

बीजिंग। पारदर्शिता का वादा करने वाले चीन ने अपने सालाना बजट में वर्ष 2017 के रक्षा खर्च का कोई आंकड़ा नहीं दिया है। इसके विपरीत अपनी संप्रभुता की रक्षा के लिए नौसेना और वायुसेना को और मजबूत करने पर जोर दिया है। असल में कम्युनिस्ट शासित देश दक्षिण चीन सागर और पूर्वी चीन सागर में अमेरिकी चुनौती का सामना कर रहा है। समुद्री आवागमन के लिहाज से महत्वपूर्ण इस क्षेत्र में चीन का कई देशों के साथ विवाद चल रहा है।

चीनी संसद नेशनल पीपुल्स कांग्रेस की प्रवक्ता फ्यू इंग ने शनिवार को कहा था कि इस वर्ष रक्षा बजट में करीब सात फीसद की वृद्धि होगी। चीन 2010 से ही रक्षा बजट इकाई अंक में ही बढ़ाता आ रहा है। अमेरिकी रक्षा बजट में 10 फीसद वृद्धि किए जाने की घोषणा को देखते हुए चीन के रक्षा खर्च में वृद्धि होने की उम्मीद थी।

रविवार को चीन की संसद का सालाना सत्र शुरू हुआ। देश के बजट में वास्तविक रक्षा खर्च को शामिल नहीं किया गया है। बजट रिपोर्ट में कहा गया है, ‘हम राष्ट्रीय रक्षा और सशस्त्र बलों में सुधार के प्रयासों का समर्थन करेंगे। ठोस रक्षा और मजबूत सशस्त्र बल चीन की अंतरराष्ट्रीय हैसियत के अनुरूप है। यह हमारी राष्ट्रीय सुरक्षा और विकास हितों के पक्ष में है।’

इस मुद्दे पर रक्षा मंत्रालय और संसद की प्रवक्ता ने कोई टिप्पणी नहीं की है। संसद में हिस्सा लेने वाले अधिकारियों ने भी सवालों को टाल दिया। पिछले वर्ष भी चीन ने रक्षा खर्च में 7.6 फीसद की वृद्धि की थी और अधिकारियों को अपना मुंह बंद रखने का निर्देश दिया गया था।

संसद में सालाना कार्य रिपोर्ट रखते हुए प्रधानमंत्री ली कछ्यांग ने कहा कि चीन सैन्य सुधारों में तेजी लाएगा। उन्होंने कहा, ‘हम सैन्य प्रशिक्षण और तैयारी बढ़ाएंगे ताकि हमारी संप्रभुता, सुरक्षा और विकास हित सुनिश्चित हो सके। हम अपनी समुद्री और वायु सुरक्षा मजबूत करेंगे।’

ताइवान की आजादी का विरोध करेगा चीन

चीन के प्रधानमंत्री ली कछ्यांग ने ताइवान की स्वतंत्रता का विरोध करने की घोषणा की है। उन्होंने कहा कि चीन को ताइवान के राष्ट्रपति त्साई इंग-वेंग पर संदेह है। उनकी सत्ताधारी डेमोक्रेटिक प्रोग्रेसिव पार्टी द्वीप देश की औपचारिक स्वतंत्रता का समर्थन कर रही है। बीजिंग इसका समर्थन नहीं करता है।

 

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