भुगतान में चूक के मामले में किंगफिशर को अंतरिम राहत

नयी दिल्ली। दिल्ली उच्च न्यायालय ने पंजाब नेशनल बैंक के नोटिस को उस सीमा तक निरस्त कर दिया जिसमें किंगफिशर एयरलाइंस व उसके गारंटर यूनाइटेड ब्रिवरीज (होल्डिंग्स) और विजय माल्या को जानबूझ कर कर्ज नहीं चुकाने वाला घोषित करने की बात की गयी थी। बैंक ने इस नोटिस में कहा था कि यदि 21 अगस्त से सात दिनों के भीतर इसका जवाब नहीं दिया गया तो उन्हें जानबूझकर भुगतान में चूक करने वाला माना जाएगा। बैंक ने नोटिस जारी कर आरोप लगाया था कि विमानन कंपनी ने 770 करोड़ रुपये से अधिक के भुगतान में जानबूझकर चूक की है। आज पीएनबी ने न्यायालय के समक्ष कहा कि विमानन कंपनी से वसूला जाने वाला मौजूदा बकाया 800 करोड़ रुपये से अधिक का है। न्यायमूर्ति विभु बखरू ने कहा कि डिफाल्ट नोटिस प्रभावी नहीं होगा क्योंकि पीएनबी को आज से एक सप्ताह के भीतर ऐसे दस्तावेज देने होंगे जिन पर वह भरोसा करता हो। इसके बाद विमानन कंपनी को उसका जवाब देने के लिए दो सप्ताह का समय दिया गया है। अदालत ने बंक के इस तर्क को खारिज कर दिया कि इस संकटग्रस्त विमानन कंपनी को जानबूझ कर कर्ज न चुकाने वाली इकाई घोघित करने का निर्णय करने के लिए की जा रही कार्रवाई में अपनी बात रखने के लिए वकील करने छूट नहीं होगी। अदालत ने आदेश दिया है कि किंगफिशर इस मामले में बैंक के समक्ष अपनी दलील पेश करने के लिए दो वकील रख सकती है। अदालत ने बैंक को वे सभी दस्तावेज एक सप्ताह के भीतर पेश करने का निर्देश दिया जिनेको उसने अपना आधार बनाया है या जिन्हें अपनी इस कार्रवाई का आधार बनाने का विचार कर रहा है। अदालत ने कहा इस मामले में परिपाटी छोड़ने का ‘कोई औचित्य’ नहीं बनता।