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बच्चों को संक्रमित खून चढ़ाने की मजिस्ट्रेट जांच होगी शुरू

जालंधर.सिविल अस्पताल में 50 से ज्यादा बच्चों को संक्रमित खून चढ़ाने को झकझोरने वाला मामला बताते हुए सांसद संतोख सिंह चौधरी ने कहा है कि मामले की मजिस्ट्रेट जांच करवाई जाएगी। सांसद ने अस्पताल की जांच को खारिज करते हुए कहा कि इतने सारे बच्चों को हेपेटाइटिस-सी हो गया और उनके पेरेंट्स को बताया तक नहीं गया, इससे मैं स्तब्ध हूं। आगे से ऐसा नहीं हो, इसके लिए विभाग जल्द से जल्द न्यूक्लिक एसिड टेस्ट (नैट) मशीन लगानी चाहिए। सेहत विभाग मशीन नहीं लगा पाया तो वह एमपी लैड फंड से मशीन लगवाएंगे।
बच्चों को संक्रमित खून चढ़ाने की मजिस्ट्रेट जांच होगी शुरू
 
भास्कर ने 8 मई को खुलासा किया था कि किस तरह सिविल अस्पताल से खून चढ़वाने वाले 122 बच्चों में से 50 से ज्यादा बच्चों को हेपेटाइटिस-सी हो गया था। अस्पताल ने पता नहीं चलने दिया कि उन्हें लीवर की जानलेवा बीमारी हो चुकी है।
 
बीमारी देर से दिखाती है असली असर
सिविलसर्जन डॉ. मनिंदर कौर मिन्हास और ब्लड बैंक इंचार्ज डॉ. गगनदीप सिंह ने सांसद चौधरी से कहा कि ‘बीमारी 15 साल बाद अपना असली रूप दिखाना शुरू करती है। तब तक यह खतरनाक नहीं है।’ असल में पूरी दुनिया इसे तेजी से फैलने वाली गंभीर बीमारी मान चुकी है। जून 2016 मे पंजाब सरकार ने इसका इलाज फ्री किया था। इसके इलाज पर विभाग हर साल 58 करोड़ रुपये खर्च कर रहा है। 

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60% पेशेंट्स को हो जाता है काला पीलिया
चौधरीने जब पूछा कि कितने बच्चे काला पीलिया से पीड़ित हैं तो मेडिकल सुपरिटेंडेंट डॉ. केएस बावा ने कहा ‘सर 60 प्रतिशत इस बीमारी से पीड़ित हो जाते हैं। नैट मशीन लगवाने से मामले काफी कम किए जा सकते हैं लेकिन वह हमारे पास उपलब्ध नहीं है। इस पर चौधरी ने कहा कि वह सेहत विभाग को मशीन लगवाने के लिए कहेंगे। वह नहीं दे पाए तो मेरे एमपी लैड फंड से मशीन लगेगी।

 
27 साल का राजू थैलेसीमिया का सबसे पुराना मरीज है। उसने बताया कि पिछले साल जब वह पीजीआई आप्रेशन कराने गया तो डॉक्टरों ने अलर्ट किया कि जल्द इलाज नहीं करवाया तो कैंसर हो सकता है। सोशल एक्टिविस्ट तजिंदर सिंह और मनजीत सिंह सरोया ने भी सांसद से निष्पक्ष जांच की मांग की है। इस मौके पर डॉ. तरलोचन सिंह, डॉ. कश्मीरी लाल और डॉ. हरीश भारद्वाज मौजूद रहे।

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