लखनऊ। राजधानी के बहुचर्चित अति प्राचीन बटुक भैरव मंदिर में मेला भादों के अंतिम रविवार यानि सात सितम्बर को कैसरबाग स्थित गुइन रोड पर होगा। जिसमें हजारों श्रद्धालु बाबा के दर्शन करेंगे और कथक के गुरू अपने शिष्यों को घुघरू प्रदान करेंगे। मेले के अवसर पर देवालय क्षेत्र में दर्जनों दुकानें सजती हैं, झूले लगते हैं, विभिन्न फनकार अपनी कलाओं का प्रदर्शन करते हैं। वहीं मेलार्थियों के लिए विशाल भण्डारे का आयोजन होता है। शनिवार को दोपहर से अखंड रामायण अनुष्ठान शुरू हों गया। 7 सितम्बर का ब्रह्ममुहूर्त में श्री बटुक भैरव का महाभिषेक होगा। उसके उपरांत श्रद्धालुओं, द्वारा पूजन-अर्चन का सिलसिला प्रारम्भ हो जायेगा। लखनऊ के गोलागंज गुइन रोड पर स्थित श्री बटुक भैरव मंदिर में लगने वाला यह मेला लखनऊ का प्राचीनतम मेला है। न जाने कब से यह मेला लगता आ रहा है, इसका पांच सौ वर्षों का इतिहास तो मौजूद है, लेकिन बताया जाता है कि यह मेला और अधिक पुराना है।भगवान शिव के पांचवे अवतार भैरव जी की कलियुग में पूजा-अर्चना अत्यन्त फलदायी मानी गयी है। जिस तरह शिव-पूजा के लिए सावन माह को विशिष्ट माना जाता है, ठीक उसी तरह भाद्रपद माह को भैरव-पूजा के लिए अतिउत्तम माना गया है। यही कारण है कि भाद्रपद माह के रविवार को ‘बड़ा रविवार’ मानते हुए बहुत से श्रद्धालु इस दिन भैरव जी की प्रसन्नता के लिए व्रत रखते हैं। भैरव जी की आराधना के लिए रविवार का दिन विशेष महत्व का होता है। मेले में जहां भक्तों का तांता लगा रहेगा वहीं भंडारे का आयोजन होगा। बच्चों के लिए झूले भी लगें हैं।