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सोनिया के निजी सचिव अहमद पटेल का विकेट गिराने की तैयारी में भाजपा

राज्यसभा चुनाव से पहले गुजरात में कांग्रेस को एक और झटका लगा है। ताजा घटनाक्रम में विपक्ष के पूर्व नेता शंकरसिंह वाघेला के करीबी तीन कांग्रेस विधायकों ने बृहस्पतिवार को विधानसभा की सदस्यता से इस्तीफा दे दिया। पार्टी के तीन विधायकों के इस्तीफे के बाद 182 सदस्यीय विधानसभा में कांग्रेस के विधायकों की संख्या घटकर 54 रह गई है। इस्तीफा देने वाले विधायकों में बलवंतसिंह राजपूत (मुख्य सचेतक), तेजश्री बेन पटेल और प्रह्लाद पटेल शामिल हैं।

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सोनिया के निजी सचिव अहमद पटेल का विकेट गिराने की तैयारी में भाजपाइन विधायकों ने ऐसे समय में इस्तीफा दिया है जब 8 अगस्त को होने वाले राज्यसभा चुनाव के लिए कांग्रेस ने वरिष्ठ पार्टी नेता अहमद पटेल को उम्मीदवार बनाया है। वैसे चुनाव जीतने के लिए पटेल को 47 विधायकों के समर्थन की जरूरत होगी, लेकिन राष्ट्रपति चुनाव में क्रास वोटिंग को देखते हुए कांग्रेस की चिंता बढ़ गई है।

राष्ट्रपति चुनाव में विपक्ष की उम्मीदवार मीरा कुमार को गुजरात में 49 विधायकों का समर्थन मिला था, जबकि उस समय कांग्रेस के विधायकों की संख्या 57 थी। 

कांग्रेस के तीनों विधायकों ने गांधीनगर में विधानसभा अध्यक्ष रमनलाल वोरा को अपना इस्तीफा सौंपा, जिसे वोरा ने स्वीकार कर लिया। उन्होंने कहा कि बलवंतसिंह राजपूत, तेजश्री बेन पटेल और प्रह्लाद पटेल अब विधानसभा के सदस्य नहीं रहे। उन्होंने कहा कि अब ये लोग राज्यसभा चुनाव में वोट नहीं डाल पाएंगे, क्योंकि अब ये विधायक नहीं रह गए हैं।गुजरात में पहले कद्दावर नेता शंकरसिंह वाघेला के पार्टी छोड़ने और फिर बृहस्पतिवार को तीन विधायकों के विधानसभा की सदस्यता से इस्तीफे से घिरी कांग्रेस के सामने अब अपने कद्दावर नेता अहमद पटेल की राज्यसभा सीट बचाने की बड़ी चुनौती खड़ी हो गई है।

भाजपा ने सूबे से पार्टी अध्यक्ष अमित शाह, केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी के अलावा तीसरा उम्मीदवार भी खड़ा करने की तैयारी पूरी कर ली है। पार्टी की रणनीति कांग्रेस के बागी विधायकों के साथ-साथ पार्टी के कुछ और विधायकों को अपने पाले में कर अहमद को उच्च सदन नहीं पहुंचने देने की है। पार्टी को भरोसा है कि चूंकि राज्य में दो महीने बाद ही विधानसभा चुनाव होने हैं, ऐसे में क्रॉस वोटिंग के कारण सदस्यता गंवाने के डर से आजाद कांग्रेस सहित अन्य दलों के विधायक पार्टी उम्मीदवार का साथ दे सकते हैं।

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गौरतलब है कि 182 सदस्यीय गुजरात विधानसभा में भाजपा के 121, कांग्रेस के 54, एनसीपी के 2, जदयू का 1 और एक निर्दलीय विधायक हैं। एक उम्मीदवार को जीत हासिल करने के लिए 47 वोटों की जरूरत होगी। ऐसे में भाजपा की दो सीटों पर जीत सुनिश्चित होने के साथ ही उसके पास अपने ही दल के 27 अतिरिक्त विधायकों के वोट होंगे। जहां तक कांग्रेस का सवाल है तो इसके 54 में से 8 विधायक बागी हैं।

हालांकि पार्टी को एनसीपी, निर्दलीय और जदयू के 4 विधायकों के समर्थन का भरोसा है। मगर सच्चाई यह है कि भाजपा न सिर्फ कांग्रेस के बागी विधायकों के संपर्क में है, बल्कि उसकी निगाहें पार्टी के कुछ और विधायकों को साथ लाने के अलावा एनसीपी, जदयू और निर्दलीय विधायकों को साधने की है।

भाजपा के एक वरिष्ठ नेता ने कहा कि हमारे पास 27 अतिरिक्त मत हैं। एक और सीट जीतने के लिए हमें 20 और विधायकों के समर्थन की जरूरत होगी। हमें कांग्रेस के बागी विधायकों के समर्थन का भरोसा है।

उन्होंने कहा कि उन्हें लगता है कि दो महीने बाद ही चुनाव होने के कारण विधायकों के लिए अब सदस्यता का मुद्दा अहम नहीं है। ऐसे में भाजपा ने तीसरा उम्मीदवार उतारने और जीत के लिए एड़ी चोटी का जोर लगाने का फैसला किया है।

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