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अवधि खत्म होने के बाद भी 3 साल से मंगलग्रह के चक्कर लगा रहा है मंगलयान

अंतरिक्ष की दुनिया में इसरों नई बुलंदियों को छू रहा है और इस कड़ी में इतिहास में भारत अपनी एक नई पहचान छोड़ने जा रहा है। जानकर सबको हैरानी होगी लेकिन ये सच है कि छह महीने के मिशन पर भेजा गया मंगलयान आज भी उचित तरीके से काम कर रहा है।
ये मंगलयान भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के वैज्ञानिकों को लगातार मंगल ग्रह की तस्वीरें और डेटा भेज रहा है जिससे भारतीय वैज्ञानिक बहुत बड़ी उपलब्धि मान रहे हैं। बता दें कि ये मंगलयान आज से 3 साल पहले भेजा गया था।  

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वहीं, इसरो के वैज्ञानिक इस मंगलयान को ‘महायान’ कहते नहीं थक रहे हैं। वैज्ञानिकों का कहना है कि छह महीने पहले ही इसकी अवधि खत्म हो चुकी है लेकिन आज 34 महीनों के बाद भी ये रोजाना मंगल ग्रह के महत्वपूर्ण जगह की तस्वीरें और डेटा भेज रहा है। ​इतना ही नहीं भारतीय वैज्ञानिकों ने इसे भारत के अंतरिक्ष इतिहास में सबसे बड़ा मिशन करार दिया और कहा कि इस मार्स ऑर्बिटर मिशन (एमओएम) का प्रदर्शन अंतरिक्ष विज्ञानियों को खुश कर देने वाला है।

बता दें कि 5 नवंबर 2013 को मंगलयान को मंगल ग्रह में भेजा गया था और 24 सितंबर 2014 में मंगल की कक्षा में पहुंचकर इसने भारतीय अंतरिक्ष में एक इतिहास कायम किया था। 24 मार्च 2015 को इसकी 6 महिने की अवधि पूरी हो चुकी है। जानकारी के मुताबिक, भारत ही ऐसा पहला देश है जो पहले ही प्रयास में मंगल ग्रह में मंगलयान भेजने में सफल साबित हुआ है।

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भारत के इस मिशन में 450 करोड़ रुपये की लागत आई थी। इसका उद्देश्य मंगल की सतह, वहां की घाटियों, पर्वतों, बादलों और वहां उठने वाले धूल भरे तूफानों की शानदार तस्वीरें तथा डेटा मुहैया कराना है।

मंगलयान लगभग तीन दिन में मंगल की कक्षा का एक चक्कर पूरा करता है। इस उद्देश्य को पूरा करने के लिए मंगलयान अपने साथ 5 पेलोड लेकर गया था जिनमें मार्स कलर कैमरा (एमसीसी), मीथेन सेंसर फॉर मार्स (एमएसएम), लाइमैन अल्फा फोटोमीटर (एलएपी), मार्स एक्सोस्फेयरिक न्यूट्रल कंपोजीशन एनालाइजर (एमईएनसीए) और थर्मल इन्फ्रारेड इमेजिंग स्पेक्ट्रोमीटर (टीआईएस) शामिल हैं।

 

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