खेल रत्न से सम्मानित होने वाले देवेंद्र झाझरिया के बारे में दस रोचक बातें
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# राजस्थान के चुरू जिले के निवासी देवेंद्र झाझरिया जब आठ साल के थे तो एक पेड़ में चढ़ने के दौरान 11000 वोल्ट की इलेक्ट्रिक केबिल की चपेट में आ गए। बाद में उनको बचाने के लिए डॉक्टरों को उनका बायां हाथ काटने के लिए मजबूर होना पड़ा।
# ब्राजील के रियो पैरा ओलंपिक खेलों में 2016 में इन्होंने भाला फेंक स्पर्धा में स्वर्ण जीता। पैरा ओलंपिक में यह उनका दूसरा स्वर्ण पदक है। 2004 में एथेंस पैरा ओलंपिक खेल में इन्होंने स्वर्ण पदक जीता था।
# झाझरिया ने 2004 में 62.15 मीटर दूर भाला फेंक स्वर्ण पदक जीता था। रियो में उन्होंने स्वयं का ही रिकॉर्ड तोड़ दिया। इस बार उन्होंने 63.15 मीटर दूर भाला फेंका।
# हाथ कटने के बाद भी उनका खेलकूद के प्रति लगाव कम नहीं हुआ। परिजनों ने उन्हें हिम्मत दी और वह एथलीट बनने का फैसला लिया।
# झाझरिया को 2004 में अर्जुन पुरस्कार और 2012 में पद्मश्री पुरस्कार दिया जा चुका है। वह ऐसे पहले पैरा ओलंपिक खिलाड़ी हैं, जिन्हें पद्मश्री का खिताब मिला।
# हादसे से गुजरने के बाद दस साल की उम्र में इन्होंने पहली बार अपने हाथ में भाला थामा। कॉलेज पहुंचने के बाद इन्हें पैरा ओलंपिक खेलों के बारे में पता चला
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# देवेन्द्र झाझरिया को 2004 में अर्जुन पुरस्कार और 2012 में पद्मश्री पुरस्कार मिल चुका है। वे पहले ऐसे पैराओलंपियन खिलाड़ी हैं, जिन्हें पद्मश्री का खिताब मिला है।
# 2013 में फ्रांस के लियोन में आईपीसी एथलेटिक्स विश्व चैंपियनशिप के स्वर्ण पदक विजेता देवेन्द्र झाझरिया इंडियन रेलवे में नौकरी कर चुके हैं। वर्तमान में वह स्पोर्ट्स अथारटी ऑफ इंडिया में कार्यरत हैं।
# 2014 में दक्षिण कोरिया में आयोजित एशियन पैरा गेम्स और 2015 की वर्ल्ड चैंपियनशिप में झाझरिया रजत विजेता रहे। ऐसी कामयाबी हासिल करने वाले झाझरिया को शुरुआत में सरकार की तरफ से कोई आर्थिक सहायता हासिल नहीं हुई।
# झाझरिया ने जीवन में शारीरिक रूप से अक्षम लोगों को खेलकूद में प्रशिक्षित करने का उद्देश्य निर्धारित किया है।