देहरादून: सीबीएसई से संबद्ध प्रदेश के सभी विद्यालयों में आगामी सत्र से एनसीईआरटी की पुस्तकें अनिवार्य करने के फैसले को धरातल पर उतारने को सरकार ने तेवर कड़े कर दिए हैं। शिक्षा मंत्री अरविंद पांडेय ने ऐलान किया कि जो भी स्कूल इसे लेकर हीलाहवाली करेंगे, उनके खिलाफ राष्ट्रीय सुरक्षा कानून (रासुका) के तहत कार्रवाई अमल में लाई जाएगी। उन्होंने देहरादून समेत विभिन्न शहरों में स्कूलों को पार्किंग की व्यवस्था करने को 10 दिन का अल्टीमेटम भी दिया है। उन्होंने यह भी कहा कि प्रदेश में शिक्षा का अधिकार अधिनियम (आरटीई) की समीक्षा करने और अगले साल इसे बंद करने के संकेत भी दिए।
भाजपा के प्रदेश कार्यालय में जनता दरबार के दौरान संवाददाताओं से बातचीत में शिक्षा मंत्री पांडेय ने कहा कि राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद (एनसीईआरटी) से प्रदेश में एनसीईआरटी की पुस्तकें लगाने की स्वीकृति मिल चुकी है। एक-दो दिन में इस बारे में आदेश निर्गत कर दिए जाएंगे। उन्होंने कहा कि सरकार की इस पहल से अभिभावकों की जेब का बोझ घटेगा। उन्होंने कहा कि यदि किसी निजी स्कूल, प्रकाशक आदि ने एनसीईआरटी की पुस्तकों से किनाराकशी की कोशिश की तो इसे कतई सहन नहीं किया जाएगा।
एक सवाल पर शिक्षा मंत्री ने कहा कि दून समेत विभिन्न स्थानों पर मुख्य सड़कों से लगे स्कूलों के खुलने व बंद होने के दौरान वहां जाम की समस्या को देखते हुए संबंधित स्कूलों को पार्किंग की व्यवस्था सुनिश्चित करने के लिए कहा जा रहा है। इसके लिए उन्हें 10 दिन का समय दिया जा रहा है। उन्होंने कहा कि स्कूलों के आसपास किसी भी दशा में सड़क पर वाहन खड़े नहीं होंगे और इनका चालान किया जाएगा। साथ ही आदेश न मानने वाले स्कूलों की मान्यता निरस्त करने पर भी विचार किया जाएगा।
आरटीई से संबंधित प्रश्न पर उन्होंने कहा कि सरकार इस बात की समीक्षा करने जा रही है कि राज्यभर में आरटीई का लाभ वास्तविक पात्र छात्रों को मिल रहा अथवा नहीं। उन्होंने कहा कि यदि स्थिति खराब होगी तो सरकार अगले साल आरटीई को बंद भी कर सकती है। एक्ट में ऐसी व्यवस्था भी है।
विस के गैरसैंण सत्र के दौरान विपक्ष के कड़े तेवर दिखाने के ऐलान पर टिप्पणी करते हुए उन्होंने कहा कि स्वस्थ लोकतंत्र के लिए विपक्ष को मजबूती व ईमानदारी से अपने कर्तव्य का निर्वह्न करना चाहिए। अयोध्या मसले से संबंधित सवाल पर उन्होंने कहा कि अदालत का जो भी आदेश आएगा, उसे सभी मानेंगे। कानून व्यवस्था के बिगड़ने जैसी कोई समस्या नहीं है। राहुल गांधी के कांग्रेस अध्यक्ष बनने पर टिप्पणी करते हुए उन्होंने कहा कि राहुल को आम जनमानस की पीड़ा का कोई अहसास नहीं है।