मोक्षदायिनी गंगा से जुड़ी ये भविष्यवाणी इंसानों के लिए है खतरे की घंटी…
भगवान शिव की जटाओं से धरती पर उतरी गंगा एक मात्र ऐसी पवित्र नदी है जो ना सिर्फ इंसानों के पापों को धोती हैं बल्कि मृत्यु के उपरांत व्यक्ति को मोक्ष भी प्रदान करती हैं. मोक्षदायिनी गंगा को भागीरथी भी कहा जाता है क्योंकि राजा भागीरथ ने ही गंगा को धरती पर लाने के लिए घोर तपस्या की थी ताकि उनके पूर्वजों को गंगा के पवित्र जल से मोक्ष मिल सके.
कलियुग में भी गंगा की पावन धाराओं के बिना व्यक्ति का जीवन अधूरा है, क्योंकि हिंदू धर्म में कोई भी संस्कार गंगा जल के बिना अधूरा माना जाता है. जीवन के अंतिम पलों में अगर व्यक्ति को गंगा जल की एक घूंट भी मिल जाए तो उसे पाप कर्मों से मुक्ति मिल जाती है और गंगा का यह जल उनके लिए मोक्ष के द्वार खोल देता है. वाकई में गंगा जल जितना पवित्र इस संसार में कुछ भी नहीं है लेकिन आज हम आपको पतितपावनी गंगा से जुड़ी एक ऐसी भविष्यवाणी के बारे में बताने जा रहे हैं जो इंसानों के लिए किसी बड़े खतरे से कम नहीं है.
कलियुग में बची है गंगा की सिर्फ दो धाराएं
गंगा को लेकर पुराणों में जिस भविष्यवाणी का जिक्र किया गया है उसके अनुसार जिस गति से स्वर्ग की पवित्र नदी गंगा में प्रदूषण का स्तर बढ़ रहा है और जिस गति से उन्हें अपवित्र किया जा रहा है उससे रुष्ट होकर गंगा जी वापस स्वर्ग की ओर प्रस्थान कर जाएंगी. ऐसी मान्यता है कि जब गंगा नदी धरती पर पहुंची तो वह अपनी 12 धाराओं में विभाजित थीं. लेकिन अब उनकी केवल 2 धाराएं बची हैं जिन्हें अलकनंदा और मंदाकिनी के नाम से जाना जाता है.
गंगा की एक धारा अलकनंदा नाम से प्रचलित हुई और यहीं बद्रीनाथ धाम स्थापित हुआ. जो भगवान विष्णु का सबसे पवित्र धाम माना जाता है. उधर गंगा की दूसरी धारा को मंदाकिनी के नाम से जाना जाता है और इसके किनारे केदार घाटी है जहां केदारनाथ धाम स्थित है. इस पूरे स्थान को रुद्रप्रयाग के नाम से जाना जाता है और यही वो जगह है जहां भगवान रुद्र ने अवतार लिया था. केदारनाथ और बद्रीनाथ धाम को हिंदू धर्म में सबसे बड़ा तीर्थस्थल माना जाता है.
केदारनाथ और बद्रीनाथ धाम हो जाएंगे लुप्त?
पुराणों में बद्रीनाथ और केदारनाथ धाम से जुड़ी जो भविष्यवाणी की गई है वो वाकई हैरान करनेवाली है. इस भविष्यवाणी के अनुसार कलियुग में केदारनाथ और बद्रीनाथ धाम लुप्त हो जाएंगे और इसके स्थान पर भविष्यबद्री नाम के तीर्थ स्थल का उद्गम होगा. पुराणों के अनुसार कलियुग के पांच हजार वर्ष बीत जाने के बाद धरती पर सिर्फ पाप ही रह जाएगा.
जब कलियुग अपने चरम सीमा पर पहुंच जाएगा तब इंसानों में आस्था और भक्ति की जगह लालच और वासना घर कर जाएगी. पुराणों में वर्णित इस भविष्यवाणी के मुताबिक जब कलियुग में भक्ति के नाम पर ढोंगी साधु और बाबा पाखंड और पाप का प्रचार करेंगे, तब इंसानों के पापों को धोनेवाली पवित्र गंगा नदी रूठ जाएंगी और फिर से स्वर्ग की ओर प्रस्थान कर जाएंगी.
क्या होगा जब गंगा वापस स्वर्ग को लौट जाएंगी?
ज़रा सोचिए अगर गंगा नदी इंसानों से रूठकर वापस स्वर्ग लौट जाएंगी तब क्या होगा? जी हां, अगर गंगा नदी वापस स्वर्ग लौट गईं तो व्यक्ति अपने ही पाप के बोझ तले दबते चला जाएगा, उसे ना तो मुक्ति मिलेगी और ना ही मोक्ष. धीरे-धीरे गंगा के तट पर बसे तीर्थस्थलों का अस्तित्व भी खत्म हो जाएगा और व्यक्ति अपने हाथों से ही अपना अंत कर बैठेगा.
अगर हम कुछ साल पहले देवभूमि उत्तराखंड में आई प्राकृतिक आपदा पर गौर करें तो ऐसा लगता है कि देवभूमि में आई ये आपदा उसी भविष्यवाणी की ओर इशारा करती है, क्योंकि इसी देवभूमि उत्तराखंड में केदारनाथ और बद्रीनाथ धाम दोनों ही गंगा नदी की दो अलग-अलग धाराओं के पास स्थित है.
बहरहाल पुराणों में गंगा नदी को लेकर की गई भविष्यवाणी अगर सच हो गई तो इसके मानव जाति को इसके भयंकर दुष्परिणाम भुगतने पड़ सकते हैं इसलिए इस समस्या से बचने के लिए जरूरी है कि हर इंसान अपने कर्मों को वक्त रहते सुधार ले. इसके साथ ही अपनी आस्था व भक्ति पर लालच और वासना की छाया भी ना पड़ने दें.