देहरादून: ‘हमें जातिवाद पर विश्वास नहीं रखना चाहिए। हम अपने संप्रदाय या हिंदू धर्म को मानने वालों को यह नहीं कह सकते कि वह हमारे नहीं हैं। इस सबसे ऊपर उठकर ही हम अपनी ताकत को संगठित कर पाएंगे। इस बात को गांठ बांध लें कि हिंदुओं में कोई पतित नहीं है। स्वयं सेवक का कार्य समाज से अस्पृश्यता के भाव को खत्म करना है। समाज के सबसे दुर्बल लोगों की हमें सेवा करनी चाहिए।’ आरएसएस (राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ) की ओर से आयोजित शाखा दर्शन कार्यक्रम में संघ के सर कार्यवाह भैयाजी जोशी ने यह बातें कहीं।
शनिवार को परे
पर्यावरण सुरक्षा, नदियों की सुरक्षा और स्वच्छता पर हमें विशेष ध्यान देना होगा। कहा कि संघ की शाखा केवल खेलकूद का मैदान नहीं है। हमारा जीवन किसलिए है, यह भी एक विचारणीय चिंतन है। संघ की शाखा में आकर स्वयं सेवक बनेंगे और समाज में आकर अच्छा काम करेंगे।
सर कार्यवाह जोशी ने कहा कि जब हम शुद्धि की बात करते हैं तो सबसे पहले हमारा मन एवं आचरण शुद्ध होना चाहिए। जैसे तालाब का पानी अगर अशुद्ध है तो सबके लिए अशुद्ध है। इसी प्रकार समाज में यदि कोई दोष है तो सबमें दोष आ जाता है। इसलिए उस दोष के निवारण की चिंता करनी चाहिए।
कार्यक्रम में महानगर की 57 शाखाओं ने प्रतिभाग किया। इस दौरान स्वयं सेवकों ने शाखा के नियमित कार्यक्रम खेल, योग, आसन, समता, चर्चा, सुभाषित, गीत आदि पेश किए। इस दौरान प्रांत प्रचारक युद्धवीर, व्यवस्था प्रमुख सुरेंद्र, सह प्रांत व्यवस्था प्रमुख नीरज, दून विभाग कार्यवाह अनिल नंदा, विभाग प्रचारक सुनील, दून महानगर संघ चालक आजाद सिंह, महानगर कार्यवाह विशाल, सह कार्यवाह आनंद, प्रचार प्रमुख हिमांशु आदि मौजूद रहे।
ड ग्राउंड में आयोजित कार्यक्रम में उन्होंने स्वयं सेवकों को उत्तम सिद्धांत से युक्त स्वयं सेवक बनाने और स्वदेशी वस्तुओं के उपयोग के संबंध में जानकारी दी। कहा कि हम अपनी भाषा पढ़ें और अपना काम भी अपनी भाषा में ही करें। अंग्रेजी पढ़ें-बोलें जरूर, लेकिन आचरण, व्यवहार और खानपान हमेशा स्वदेशी रहना चाहिए। अपनी जीवन शैली में पश्चिमी जीवन पद्धति का प्रवेश न होने दें।