व्यापार
दवा बनाने वाली कंपनियां संकट में
मुंबई (एजेंसी)। दवा बनाने वाले रसायनों व अन्य सामग्री पर भारत की घरेलू दवा कंपनियों की चीन पर निर्भरता महंगी पड़ रही है। पिछले दो महीने के दौरान चीन से आयातित एक्टिव फार्मास्यूटिकल्स इनग्रेडिएंट्स (एपीआई) के दाम 30 से 50 प्रतिशत बढ़े हैं। इसकी वजह से कंपनियों का खर्च बढ़ा है, जिसका सीधा असर उनके मुनाफे पर पड़ रहा है।
बताया जा रहा है कि एपीआई की लागत में 30 प्रतिशत बढ़ोतरी होने से घरेलू बिक्री में मुनाफा 1.5 से 3 प्रतिशत तक प्रभावित हो सकता है। एपीआई में वह कच्चा माल और सहायक सामग्री शामिल होता है, जिनका इस्तेमाल दवाओं में किया जाता है। पिछले एक दशक से ज्यादा समय से स्थानीय दवा विनिर्माताओं ने इन कच्चे माल के उत्पादन में कमी कर दी है और तमाम मामलों में तो ज्यादा लागत होने की वजह से उत्पादन ही बंद कर दिया गया है।