लेकिन इतने बदलावों के बावजूद कैलेंडर में आने वाली मुश्किलें खत्म नहीं हुई। यह वर्ष अब मौसम के मुताबित नहीं बनाया गया था, क्योंकि इस वर्ष को चंद्रमा के अनुसार बनाया गया था। मौसम हमेशा सूर्य और प्रथ्वी के चक्कर के कारण बदलता है।
पुरानी कहानियों के अनुसार जुलियस सीजर ने 45 BC में कैलेंडर को चंद्रमा के अनुसार न रखते हुए सूर्य के अनुसार रखा। इस बदलाव के बाद हर वर्ष में 10 दिन और जोड़ दिए गए। इसके कारण अब हर वर्ष 365 दिन और 6 घंटे का हो गया।
क्योंकि सूर्य पृथ्वी का चक्कर 365 दिन और 6 घंटे में पूरा करता है। पीछे बचे इन 6 घंटो को हर साल बचा लिया जाता है और हर चौथे साल मिला कर एक दिन फरवरी महीने में जोड़ दिया जाता है। इस वर्ष को हम लीप वर्ष कहते है। कहानियों और ग्रंथो के अनुसार इसी कारण फरवरी में 28 दिन होते है।