वाम मोर्चो के आखिरी गढ़ त्रिपुरा में भाजपा का जादू सिर चढ़कर बोला। राज्य में ‘चलो पाल्टाई’ (चलो बदलें) का उसका नारा कामयाब रहा और उसने अपनी सहयोगी इंडीजिनस पीपुल्स फ्रंट ऑफ त्रिपुरा (आईपीएफटी) के साथ मिलकर 43 सीटें जीत लीं। माकपा की अगुवाई वाले वाम मोर्चे को 16 सीटों पर संतोष करना पड़ा, जबकि कांग्रेस का पत्ता साफ हो गया।
नगालैंड में नेशनल पीपुल्स फ्रंट (एनपीएफ) 29 सीटों के साथ सबसे बड़े दल के रूप में उभरा है जबकि नेशनलिस्ट डेमोक्रेटिक प्रोग्रेसिव पार्टी (एनडीपीपी) के साथ भाजपा के गठबंधन को 26 सीटें हासिल हुई हैं। हालांकि मुख्यमंत्री टीआर जेलियांग की एनपीएफ ने भाजपा को सरकार में शामिल होने का निमंत्रण दिया है। मालूम हो कि चुनाव के पहले भाजपा ने एनपीएफ से नाता तोड़ एनडीपीपी से हाथ मिलाया था।
मेघालय में कांग्रेस 21 सीटें जीतकर सबसे बड़ी पार्टी के रूप में उभरी है, जबकि नेशनल पीपुल्स पार्टी (एनपीपी) को 19 सीटें हासिल हुई हैं। राज्य में 47 सीटों पर लड़ने वाली भाजपा को दो सीटों से संतोष करना पड़ा। अन्य के खाते में 17 सीटें गई हैं जिनमें यूडीपी की छह, पीडीएफ की चार और एचएसपीडीपी को दो सीटें शामिल हैं। भाजपा ने किसी पार्टी के साथ तालमेल नहीं किया था लेकिन राष्ट्रीय स्तर पर एनपीपी उसकी अगुवाई वाले एनडीए का हिस्सा है। इसलिए यहां भी एनडीए सरकार बनने की संभावना है। यहां छोटे दलों की सरकार गठन में अहम भूमिका होगी।
त्रिपुरा में 18 फरवरी और जबकि नगालैंड और मेघालय में 27 फरवरी को मतदान हुआ था। त्रिपुरा में एक उम्मीदवार की मृत्यु और मेघालय में एक उम्मीदवार की हत्या के कारण दोनों राज्यों में 59-59 सीटों के लिए मतदान हुआ था। नगालैंड में नेफ्यू रियो के निर्विरोध चुने जाने के कारण वहां भी 59 सीटों पर ही वोट डाले गए थे।
सीएम की दौड़ में बिप्लब देब आगे
त्रिपुरा में मुख्यमंत्री पद की दौड़ में प्रदेश भाजपा अध्यक्ष बिप्लब कुमार देब सबसे आगे चल रहे हैं। जिम ट्रेनर से नेता बने बिप्लब ने कहा कि वह जिम्मेदारी संभालने को तैयार हैं लेकिन अंतिम फैसला पार्टी का संसदीय बोर्ड करेगा।
चुनाव नतीजों के मायने
– भाजपा में नरेंद्र मोदी और अमित शाह की जोड़ी की धाक बढ़ी
– हिंदी क्षेत्र की पार्टी का ठप्पा हटा, पुख्ता हुई अखिल भारतीय पहचान
– अगले विधानसभा व 2019 के आम चुनाव में भाजपा को बढ़त
– पूर्वोत्तर से कांग्रेस का लगभग सफाया उसके लिए बड़ी चिंता का विषय
– देश में वामपंथी राजनीति पर लगा बहुत बड़ा सवालिया निशान
कांग्रेस मुक्त भारत की ओर
21 राज्यों में एनडीए की सरकार, 68 फीसदी आबादी पर राज
4 राज्य में कांग्रेस व घटक दल, 7.78 फीसदी आबादी पर शासन
6 राज्यों और 24 फीसदी जनसंख्या पर अन्य दलों का राज