खुशखबरी: रोजगार बढ़ाने को अब ज्वैलरी उद्योग में जान फूंकेगी सरकार
कठिनाई के दौर से गुजर रहे ज्वैलरी उद्योग में जान फूंकने के लिए सरकार जल्द ही कई कदम उठा सकती है। माना जा रहा है कि इस क्षेत्र में रोजगार पैदा करने के इरादे से सरकार सोने पर टैक्स की दर तर्कसंगत बनाने और ‘गोल्ड सेविंग अकाउंट’ योजना शुरू करने जैसे कदम उठा सकती है। साथ ही मौजूदा गोल्ड मॉनिटाइजेशन स्कीम में भी व्यापक बदलाव किया जा सकता है।
सूत्रों के मुताबिक नीति आयोग के प्रिंसिपल एडवाइजर और पूर्व वित्त सचिव रतन वतल ने ‘ट्रांसफार्मिग इंडियाज गोल्ड मार्केट’ नाम से एक रिपोर्ट हाल में वित्त मंत्री अरुण जेटली को सौंपी है जिसमें ज्वैलरी उद्योग की स्थिति सुधारने तथा इस क्षेत्र में रोजगार के अवसर बढ़ाने के लिए ऐसे ही उपाय करने की सिफारिश की गयी है।
सूत्रों के मुताबिक वतल ने इस रिपोर्ट में सोने पर आयात शुल्क और जीएसटी की दर को तर्कसंगत बनाने का सुझाव भी दिया है। फिलहाल सोने पर आयात शुल्क और जीएसटी मिलाकर 13 प्रतिशत से अधिक टैक्स है। सरकार ने चालू खाते के घाटे को पाटने के लिए अगस्त 2013 में सोने पर आयात शुल्क बढ़ाकर 10 प्रतिशत कर दिया था। टैक्स अधिक होने की वजह से ही हाल के वर्षो में सोने की तस्करी की घटनाओं में वृद्धि हुई है।
दरअसल ज्वैलरी क्षेत्र में अधिकांश छोटी और मझोली इकाइयां काम करती हैं और इसमें लगभग 60 लाख लोगों को प्रत्यक्ष और परोक्ष रोजगार प्राप्त है। इसलिए केंद्र को उम्मीद है कि इस क्षेत्र में उपाय कर रोजगार को बढ़ावा दिया जा सकता है।
उल्लेखनीय है कि वित्त मंत्री ने आम बजट 2018-19 में गोल्ड मॉनिटाइजेशन योजना को आकर्षक बनाने तथा एक समग्र गोल्ड नीति लाने का एलान भी किया था। उन्होंने यह भी कहा था कि सरकार देश में ग्राहकों के हित के अनुकूल और व्यापार की दृष्टि से प्रभावी रूप से विनियमित गोल्ड एक्सचेंजों की स्थापना करेगी। ‘गोल्ड मॉनिटाइजेशन स्कीम’ में बदलाव की घोषणा करते हुए जेटली ने कहा कि ऐसा होने पर आम लोग बिना किसी दिक्कत के गोल्ड डिपॉजिट एकाउंट खोल सकेंगे। हालांकि जेटली ने सोने के आयात पर तीन प्रतिशत सरचार्ज लगा दिया था।