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खेल मंत्रालय पर भड़कीं सीमा पुनिया, आर्थिक मदद न देने का लगाया आरोप

चक्का फेंक की टॉप खिलाड़ी सीमा पूनिया ने सोमवार को गोल्ड कोस्ट कॉमनवेल्थ गेम्स के लिए क्वॉलिफाई कर लिया। इसके तुरंत बाद उन्होंने खेल मंत्रालय और एथलेटिक्स फेडरेशिन ऑफ इंडिया (AFI) की निंदा भी की। सीमा का आरोप है कि खेल मंत्रालय ने उनका नाम टारगेट ओलिंपिक पोडियम (TOP) के लिए आगे नहीं बढ़ाया है। इसके अंतर्गत ओलिंपिक की तैयारी करने के लिए खिलाड़ियों को पचास हजार रुपए महीने मिलते हैं।खेल मंत्रालय पर भड़कीं सीमा पुनिया

सीमा ने आगे कहा कि उन्होंने देश के लिए मेडल जीते, लेकिन फिर भी उन्हें राजीव गांधी खेल रत्न या अर्जुन पुरस्कार से वंचित रखा गया है। बता दें कि 2001 में जो वर्ल्ड जूनियर एथलेटिक्स चैंपियनशिप हुई थी उसमें सीमा डोप टेस्ट में फेल हो गई थीं। तब खबरों में आया था कि फेडरेशन ने उन्हें चेतावनी देकर छोड़ दिया। उनपर बैन नहीं लगा था, लेकिन डिसक्वॉलिफाइ कर दिया गया था। 
दायर की RTI 
सीमा ने अब आरटीआई दायर करके मंत्रालय से पूछा है कि क्या उनकी जानकारी में उनपर (सीमा) कभी डोपिंग के लिए बैन लगा था? सीमा के मुताबिक, उन्हें तैयारी के लिए मिलनेवाली आर्थिक मदद नहीं दी जाती। सीमा ने कहा, ‘मैंने कॉमनवेल्थ गेम्स और एशियन गेम्स में मेडल जीते, फिर भी अर्जुन अवॉर्ड के लिए भेजा गया मेरा नाम बार-बार रिजेक्ट कर दिया जाता है। मंत्रालय मुझे बताए कि आखिर मुझपर डोपिंग के लिए किस साल में बैन लगा था?’ 

दरअसल, नैशनल डोप टेस्टिंग लैबरेटरी 2008 में अस्तित्व में आई थी, ऐसे में सीमा के डोप टेस्टवाला प्रूफ मिलना फिलहाल मुश्किल लग रहा है। अब इसपर खेल मंत्रालय क्या जवाब देता है वह देखने वाली बात होगी। 

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