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सुनील मित्तल और रुइया को सुप्रीम कोर्ट से मिली राहत

supreme_courtनई दिल्ली : भारती सेल्यूलर लिमिटेड के चेयरमैन एवं प्रबंध निदेशक सुनील भारती मित्तल और एस्सार समूह के प्रवर्तक रवि रुइया को आज राहत देते हुए उच्चतम न्यायालय ने एक विशेष अदालत के 2002 में राजग कार्यकाल के दौरान अतिरिक्त स्पेक्ट्रम आवंटन से जुड़े मामले में उन्हें आरोपी के तौर पर पेश होने का आदेश खारिज कर दिया है। प्रधान न्यायाधीश एच एल दत्तू, न्यायमूर्ति मदन बी लोकुर और न्यायमूर्ति ए के सीकरी ने कहा, कानूनी सिद्धांत गलत तरीके से लागू किया गया है। हमने विशेष अदालत का आदेश निरस्त कर दिया है। पीठ ने कहा, हम विशेष न्यायाधीश को स्वतंत्रता दे रहे हैं कि यदि किसी भी चरण में कोई ठोस सबूत मिलता है तो उन्हें आरोपी के तौर पर उनको (मित्तल एवं रुइया को) सम्मन जारी पूरा अधिकार है। उच्चतम न्यायालय ने पिछले साल चार दिसंबर को इन उद्योगपतियों के वकीलों तथा सीबीआई की दलीलें सुनने पर फैसला बाद में सुनाने का फैसला किया। इससे पहले सुनवाई के दौरान मित्तल की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता फली एस नरीमन ने उच्चतम न्यायालय से कहा कि सीबीआई द्वारा दायर आरोपपत्र में चेयरमैन एवं प्रबंध निदेशक का नाम नहीं होने के बावजूद उनके मुवक्किल को बुलाकर सुनवाई अदालत ने गलती की है।
नरीमन ने पीठ से कहा था कि मित्तल की तत्कालीन दूरसंचार मंत्री प्रमोद महाजन और तत्कालीन दूरसंचार सचिव श्यामल घोष के साथ मुलाकात के कथित दावे में कुछ भी असामान्य नहीं है। सीबीआई ने मित्तल और रइया पर आरोप तय नहीं किए हैं हालांकि उसने सीबीआई के विशेष न्यायाधीश के उन्हें आरोपी के तौर पर सम्मन जारी करने के फैसला का बचाव किया था। उच्चतम न्यायालय सीबीआई के विशेष न्यायाधीश के एक आदेश को खारिज करने की मांग वाली याचिका की सुनवाई कर रही थी। 19 मार्च 2013 को जारी आदेश में रइया और मित्तल को पेशी का निर्देश दिया गया था जिनका नाम सीबीआई के आरोप पत्र में आरोपी के तौर पर दर्ज नहीं किया गया है। निचली अदालत ने कहा था कि इस मामले में उनके खिलाफ कार्रवाई आगे बढ़ाने के संबंध में पर्याप्त आधार हैं। इधर एस्सार समूह के प्रवर्तक रवि रुइया ने कहा था कि वह आरोपी कंपनी स्टलिंग सेल्यूलर लिमिटेड के रोजमर्रा के कामकाज से नहीं जुड़े थे और उन्हें इस मामले में सम्मन जारी किया जाना गलत है। एजेंसी

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