हनुमान जयंती पर ऐसे करें पूजा, पाएं बजरंगबली की कृपा
प्रत्येक चैत्र मास की शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा को हनुमान जयंती का पर्व मनाया जाता है. हनुमान जयंती को हनुमान जी के जन्म दिवस के रूप में मनाया जाता है. बजरंगबली को भगवान शिव का 11वां अवतार माना जाता है. ऐसी मान्यता है कि भगवान शिव ने ये वानरवतार श्रीराम के कार्यों को सिद्ध करने के लिए लिया था. बजरंगबली को कलयुग का देवता भी कहा जाता है, यही वजह है कि भक्तों के लिए हनुमान जयंती का खास महत्व है. मान्यता है कि हर मंगलवार और शनिवार जो भी भक्त बजरंगबली का ध्यान करता है और हनुमान चालीसा का पाठ करता है उसके सभी कष्ट दूर होते हैं. जो भी भक्त हनुमान जी की पूजा करता है किसी भी तरह की बाधाएं उसके पास तक नही आतीं. शास्त्रों के अनुसार चैत्र मास की पूर्णिमा को ही बजरंगबली का जन्म हुआ था. यही कारण है कि प्रत्येक मास की पूर्णिमा को हनुमान जयंती का पर्व मनाया जाता है.
कब है हनुमान जयंती
सामान्यतौर पर हर बार हनुमान जयंती अप्रैल माह में पड़ती है लेकिन, इस बार बार हनुमान जयंती 31 मार्च को मनाई जाएगी. क्योंकि इस बार की चैत्र पूर्णिमा 31 मार्च को पड़ रही है.
चैत्र पूर्णिमा
– 30 मार्च 2018 को शाम 7:36 से
– 31 मार्च 2018 को शाम 6:08 मिनट तक
पूजा सामग्री
चौकी, लाल कपड़ा, कलश, पंच पल्लव, नारियल, मौली, पुष्पमाला, चना, कुशा, दूर्वा, पंचमेवा, गंगाजल, शहद, शक्कर, दही, दूध, घी, मिष्ठान, इत्र की शीशी, चमेली का तेल, लाल सिंदूर, चंदन, रुई, सुपारी, पान के पत्ते, गुलाल, दीपक और चावल.
पूजा विधि
सुबह उठकर स्नान करें और व्रत का संकल्प लें. शाम के समय चौकी पर लाल कपड़ा बिछाकर हनुमान जी की प्रतिमा स्थापित करें. अब एक आसन बिछाकर आप भी बैठ जाएं. दही में दूध, घी, शक्कर, शहद, गंगाजल और पंचमेवा डालकर उसका पंचामृत बनाएं. प्रतिमा के सामने कलश स्थापित करें, कलश में पंचपल्लव रखें, इसके ऊपर एक पात्र में चावल भर कर रखें और उसमें सुपारी, पान के पत्ते और मौली रख दें. हाथ में चावल और फूल लेकर हनुमान जी का ध्यान करें. अब चमेली के तेल में सिंदूर मिलाएं और बजरंगबली को लेप लगाएं. हनुमान जी को लाल लंगोट पहनाएं. इसके बाद दूर्वा से इत्र छिड़कें, कुमकुम का टीका लगाएं और पुष्पमाला पहनाएं. मिष्ठान पर तुलसी रखकर भोग लगाएं और पान और पंचमेवा अर्पित करें. अंत में हनुमान जी की आरती करें.
ध्यान मंत्र
अंत में हनुमान जी के ध्यान मंत्र “ऊँ अंजनी जाय विद्महे वायुपुत्राय धीमहि तन्नो हनुमान प्रचोदयात्” का जाप करें और क्षमा प्रार्थना करें.