हरिद्वार: आधुनिक समय में भले ही पाठक नए लेखकों की पुस्तकों में रुचि न ले रहे हों, लेकिन भारत सरकार की रीड इंडिया कैंपेन एक नई दिशा प्रदान करेगी। यह योजना फरवरी से शुरू होने की संभावना है। देवसंस्कृति विश्व विदयालय के कुलाधिपति व विचार क्रांति अभियान, शांतिकुंज हरिद्वार के प्रमुख प्रणव पंडय़ा ने कहा कि सही मायने में देखा जाए तो देश को और विश्व की युवा पीढ़ी को इस कैंपेन की बहुत आवश्यकता थी। आज जमाना बदल रहा है।छात्र नये नये मोबाइल फोन, कम्प्यूटर, टेबलेट आदि कई आधुनिक उपकरणों का इस्तेमाल कर कर रहे हैं, लेकिन लोगों की किताब पढ़ने में उनकी रुचि कम हो रही है। उन्होंने कहा कि आधुनिक उपकरणों से उनकी जानकारियों में अभिवृद्धि तो हुई है, किन्तु फिर भी साहित्य की आवश्यकता और महत्ता को अस्वीकार नहीं किया जा सकता, क्योंकि साहित्य से ही मनुष्य को प्रकाश मिलता है, जीवन जीने की राह मिलती है। विचारों में सजगता और प्रखरता आती है और मनुष्य को प्रगति के पथ पर बढ़ने में मदद मिलती है इसलिए साहित्य हमारे जीवन का अभिन्न अंग होना चाहिए। विश्वभर के महापुरुषों से लेकर राजनीतिज्ञों तक ने पुस्तकों के महत्त्व को स्वीकार किया है और विचार शक्ति का गुणगान किया है, क्योंकि पुस्तकों से विचारों का परिमार्जन होता है और उससे व्यक्तित्व परिष्कार में सहायता मिलती है।