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रिलेशनशिप में उलझे बच्चों का मनोविज्ञान टटोलती है ‘अदृश्य’

मुम्बई : फेस्टिवल्स का हिस्सा बनना और दर्शकों की प्रशंसा हासिल करना कौन नहीं चाहता। हर मेकर की यह ख्वाहिश रहती है कि उसकी फिल्म दुनिया भर में सराही जाए। इसके लिए सबसे अच्छा माध्यम तो यही है कि पहले फिल्म को फेस्टिवल्स में जाकर दर्शकों का रिस्पॉन्स देखा जाए। अगर ​फिल्म अदृश्य की बात करें, तो आॅडियोलैब द्वारा प्रस्तुत निर्माता सतीश पुजारी व दीपक शाह तथा संदीप चटर्जी निर्देशित यह फिल्म अब तक देश—विदेश के आठ फेस्टिवल्स में सराही जा चुकी है और अब 6 जुलाई को भारतीय दर्शकों के लिए रूपहले परदे पर आ रही है। निर्माता—निर्देशक को पूरा भरोसा है कि चाइल्ड और पैरेंट्स के रिलेशनशिप पर बनी यह फिल्म दर्शकों के दिलों को छू लेगी। इसमें दिखाया गया है कि एक बच्चा उन स्थितियों में किस तरह की मनोदशा का शिकार हो जाता है, जब उसे लगने लगता है कि पैरेंट्स का ध्यान उस बच्चे की तरफ है, जो अभी आने वाला है। पैरेंट्स की अटेंशन डिवाइड होने पर ऐसे बच्चों की सोच बदल जाती है जिसे मां—बाप समझ नहीं पाते। ये प्रोब्लम उन महानगरों की है जहां मां—बाप काम में व्यस्त हैं ​और चाहते हैं कि दूसरा बच्चा पैदा किया जाए ताकि उस बच्चे का अकेलापन दूर हो, जो मेड की देखरेख में है और मां—बाप उसे वक्त नहीं दे पा रहे। ये एक ऐसा विषय है, जिसे समझने के लिए निर्देशक संदीप चटर्जी को कई बच्चों और पैरेंट्स से मिलकर पूछना पड़ा कि आप किससे ज्यादा प्यार करते हैं। तब कई तरह की समस्याएं और पहलू निकलकर सामने आए और उसे कहानी का रूप देना पड़ा। संदीप कहते हैं कि ऐसी दशाएं न आएं, इसके लिए बच्चों को अपडेट करते रहना जरूरी है ताकि आने वाले बच्चे के प्रति उसकी उत्सुकता बनी रहे। दूसरे बच्चे को लेकर वह गलत न सोचने लगे।
फिल्म में दो चाइल्ड आर्टिस्ट हैं जिनका नाम है अब्दुल रहमान और पाखी मंडोला। दोनों विज्ञापन और फिल्मों में दिखते रहे हैं। पाखी कैटरीना और रणवीर सिंह के साथ फिल्म और एड कर चुकी हैं। इसमें इशत मलिक का भी अहम रोल है जिन्होंने चाचा का कैरेक्टर प्ले किया है। इशत कई विज्ञापन फिल्में कर चुके हैं। संदीप कहते हैं कि वह इस फिल्म पर पिछले दो साल से लगे हैं। संदीप बड़े स्केल पर फिल्म बनाना चाहते थे लेकिन बतौर डायरेक्टर पहली फिल्म होने के कारण उन्हें बड़ी स्टारकास्ट मिलना मुश्किल था इसलिए उन्होंने चाइल्ड आर्टिस्ट को लेकर फिल्म बनाने का फैसला किया। संदीप कहते हैं कि बच्चे अपने आप में स्टार हैं। उनमें किसी तरह का स्टारिज्म नहीं होता। दर्शकों का एक वर्ग ऐसा भी है जो बच्चों की फिल्म उसके कंटेंट और मैसेज के कारण देखने आता है। विभिन्न समारोहों में मिली तारीफों से उत्साहित संदीप चटर्जी कहते हैं कि हमें उम्मीद है कि यह फिल्म दर्शकों के दिल को छू लेगी।

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