नई दिल्ली : दिल्ली सरकार ने आज एक बार फिर अपने अधिकारों को लेकर सुप्रीम कोर्ट जा पहुंची है। दिल्ली सरकार का उपराज्यपाल के साथ 9 मसलों पर विवाद बना हुआ है। सूत्र बताते हैं कि सरकार सुप्रीम कोर्ट में गुहार लगाएगी कि हमारे बचे हुए मामलों का निपटारा जल्द से जल्द करें, जिसमें सर्विसेज भी शामिल है। सरकार की याचिका पर कोर्ट अगले सप्ताह सुनवाई करेगा। जानकारी मिली है कि दिल्ली सरकार ट्रांसफर-पोस्टिंग के मुद्दे को लेकर कोर्ट पहुंची है। उसने कोर्ट से कहा है कि सर्विसेज सहित अन्य मुद्दों को भी जल्द निपटाया जाए।
उपराज्यपाल केंद्रीय गृह मंत्रालय की अधिसूचना का हवाला देकर सर्विसेज विभाग सरकार को सौंपने को तैयार नहीं हैं। उनका कहना है कि दिल्ली सरकार में काम करने वाले आईएएस व दॉनिक्स अधिकारियों की कंट्रोलिंग अथॉरिटी केंद्रीय गृह मंत्रालय है। उपराज्यपाल और मुख्यमंत्री के बीच अधिकारियों के तबादले को लेकर जारी तकरार खत्म होने का नाम नहीं ले रही है। सर्विसेज विभाग को अब तक सरकार को नहीं सौंपने पर मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने उपराज्यपाल अनिल बैजल को सोमवार को एक और पत्र लिखकर आश्चर्य जताया है कि दिल्ली सरकार और केंद्र के रिश्तों पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला स्वीकार करने में वह चुनिंदा रवैया कैसे अपना सकते हैं।
इसके पूर्व सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद उपराज्यपाल ने साफ कर दिया था कि केंद्रीय गृह मंत्रालय की अधिसूचना के आधार पर सेवा विभाग आप सरकार की बजाय उनके ही पास रहेगा। सेवा विभाग को लेकर मुख्यमंत्री ने एक बार फिर उपराज्यपाल को पत्र लिखा है कि आप आदेश में कुछ हिस्से को कैसे अस्वीकार कर सकते हैं। मुख्यमंत्री ने उपराज्यपाल से सेवा विभाग सरकार को सौंपने की एक बार फिर मांग की है। अपने पत्र में मुख्यमंत्री ने बैजल से शीर्ष अदालत के फैसले को पूरी तरह लागू करने का अनुरोध किया है। उन्होंने कहा कि केंद्रीय गृह मंत्रालय के पास सुप्रीम कोर्ट के फैसले की व्याख्या करने का अधिकार नहीं है। उन्होंने उपराज्यपाल से अनुरोध किया कि किसी भी प्रकार के भ्रम की स्थिति के स्पष्टीकरण के लिए तुरंत सुप्रीम कोर्ट से संपर्क करें, लेकिन कृपया शीर्ष अदालत के निर्णय का उल्लंघन नहीं करें।