नई दिल्ली : केंद्र सरकार पेशेवर शिक्षा पर दी जा रही ब्याज सब्सिडी को आधा करने की तैयारी में है। वजह यह है कि जितना बजट ब्याज सब्सिडी के लिए दिया गया था उससे ज्यादा के दावे सरकार के पास आ गए हैं। इसलिए सरकार ब्याज सब्सिडी में कटौती करने की तैयारी में है। मानव संसाधन विकास मंत्रालय ने वित्त मंत्रालय को इस संबंध में प्रस्ताव भेजा है। हालांकि इस मसले पर अभी कोई अंतिम निर्णय नहीं हुआ है। मंत्रालय ने पेशेवर शिक्षा के लिए 2009 में ब्याज सब्सिडी योजना शुरू की थी। जो अप्रैल 2009-10 से लागू हुई। इसके तहत साढ़े चार लाख सालाना आय वाले अभिभावकों के बच्चों को शिक्षा पर लगने वाले ब्याज की भरपाई मंत्रालय द्वारा की जाती है। कोर्स की कुल अवधि और उसके बाद अधिकतम एक साल तक का ब्याज मंत्रालय द्वारा दिया जा रहा था। करीब 25 लाख छात्र इस योजना का लाभ ले रहे हैं। पिछले चार सालों में करीब 60 हजार करोड़ रुपये की ऋण योजना के तहत दिए गए हैं।
मंत्रालय की तरफ से दिए गए प्रस्ताव के अनुसार ब्याज पर सब्सिडी को 50 फीसदी रखा जाएगा। यानी जो ब्याज बनेगा आधा छात्रों को खुद ही वहन करना पड़ेगा और आधा सरकार भरेगी। इससे बीटेक कोर्स के लिए छह लाख का ऋण लेने वाले परिवार को हर साल करीब 50 हजार रुपये की चपत लगेगी। मंत्रालय ने पिछले साल एक हजार करोड़ रुपये इस मद में आवंटित किए थे लेकिन सूत्रों का दावा है कि 1500 करोड़ रुपये के दावे सरकार के पास आ चुके हैं। दरअसल, इसकी एक वजह यह भी रही कि पिछली यूपीए सरकार ने अपने अंतरिम बजट में योजना को 2009-10 से पहले लिए गए लोन पर भी लागू कर दिया था। इससे करीब छह-सात लाख और मामले भी योजना के दायरे में आ गए और सब्सिडी की राशि बढ़ गई। सरकार के पास अब दो विकल्प हैं या सब्सिडी घटाए या फिर वित्त मंत्रालय इस मद में अतिरिक्त बजट प्रदान करे।