व्यापार

अब ऑनलाइन विक्रेताओं की मनमानी पर लगेगी लगाम

ई-कॉमर्स कंपनियों के खिलाफ  बढ़ रही शिकायतों के मद्देनजर सरकार हर पहलू पर उनकी जवाबदेही तय करने जा रही है। इसके लिए सरकार ने लंबित उपभोक्ता संरक्षण विधेयक में नए निर्देश शामिल करने का निर्णय लिया है।

इस कानून के लागू होने पर ऑनलाइन विक्रेताओं के लिए सामानों की डिलीवरी, वापसी और बदलाव के लिए पारदर्शी नीति बनाना अनिवार्य हो जाएगा, जबकि मनमाना रवैया अपनाने पर उन्हें आर्थिक दंड भुगतना होगा।  

केंद्रीय उपभोक्ता मंत्रालय के मुताबिक, देश में जिस तेजी से ऑनलाइन बाजार बढ़ रहा है, उसी गति से उनके खिलाफ  शिकायतें भी बढ़ रही हैं। वित्त वर्ष 2017-18 में ई-कॉमर्स कंपनियों के खिलाफ  शिकायतों में 42 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है।

ऐसी शिकायतों को लेकर सरकार ने बीते जनवरी में उपभोक्ता संरक्षण विधेयक-2018 संसद में पेश किया था, जिसमें धोखाधड़ी, अनुचित व्यावसायिक गतिविधि और सामान की जिम्मेदारी सहित अन्य मुद्दे शामिल थे।

लेकिन इसमें डिलीवरी में देरी, गलत माल भेजना, वापसी में होने वाली दिक्कत और उत्पाद बदलने में आनाकानी जैसे पहलू नहीं थे। इन पहलुओं को अब शामिल किया जाएगा और ई-कॉमर्स कंपनियों को उत्पाद के लिए जिम्मेदार बनाया जाएगा। 2015 के विधेयक में ये निर्देश शामिल थे। 

ई-कॉमर्स के लिए नियामक जरूरी 

मंत्रालय के मुताबिक, राष्ट्रीय उपभोक्ता हेल्पलाइन में ज्यादातर शिकायतें उत्पादों का नहीं मिलना, गलत उत्पाद मिलना, डिलीवरी में देरी, वापसी में परेशानी और उत्पाद बदलने में दिक्कतों को लेकर होती हैं। ग्राहकों को न्यायोचित व्यवस्था मुहैया कराने के लिए हेल्पलाइन ने 66 ई-कॉमर्स कंपनियों के साथ करार किया, जिसके परिणामस्वरूप 60 फीसदी तक शिकायतें निपटाने में मदद मिलीं।

हालांकि मंत्रालय का मानना है कि ई-कॉमर्स क्षेत्र के लिए कोई नियामक नहीं होने की वजह से उपभोक्ताओं को पूरी राहत नहीं मिल पा रही है। उसका मकसद 100 फीसदी शिकायतों का निपटारा करने का है। उल्लेखनीय है कि ई-कॉमर्स के खिलाफ  साल 2014 में 5,204, 2015 में 16,919, 2016 में 28,331, 2017 में 54,872 और मार्च 2018 तक 78,088 शिकायतें आईं। 

पारदर्शी होगा ग्राहकों के साथ करार 

नए उपभोक्ता संरक्षण विधेयक में ग्राहकों को राहत देने के लिए विभिन्न प्रावधान शामिल किए गए हैं। यहां तक कि इसमें ई-कॉमर्स कंपनियों को भी परिभाषित किया गया है। साथ ही, कंपनियों को उपभोक्ताओं के डाटा की सुरक्षा की गारंटी भी देनी होगी। अब ग्राहकों के साथ किए गए करार की जानकारी पारदर्शी तरीके से मुहैया कराने का पहलू भी शामिल होगा। इसके अलावा, उपभोक्ता संरक्षण प्राधिकार से शिकायत भी कर सकेगा।

उपभोक्ता नुकसान पर मुआवजा

सरकार इस विधेयक में मुआवजे का भी स्पष्ट प्रावधान कर रही है, जो 2015 के विधेयक में स्पष्ट नहीं था। अगर उत्पाद इस्तेमाल करने पर उपभोक्ता को कोई नुकसान होता है या फिर उसकी मौत हो जाती है, तो इसके लिए व्यापारी, सेवा प्रदाता और विक्रेता से मुआवजे की मांग की जा सकेगी। गौरतलब है कि मौजूदा विधेयक में अनुचित व्यावसायिक प्रक्रिया में गलत बयानी, भ्रामक विज्ञापन सहित छह तरह की गतिविधियां शामिल हैं।

Related Articles

Back to top button