नासिक : कुछ महीने पहले तक जो टमाटर 100 रुपये प्रति किलो बिक रहा था और भी आपके आसपास की खुदरा मंडी में 30 से 35 रुपये किलो से कम के दाम में नहीं मिल रहा है, थोक मंडी में उसके भाव सुनकर आप हैरान रह जाएंगे। किसान जिस भाव पर टमाटर बेचते हैं और आप जिस भाव पर खरीदते हैं, उसमें करीब 20 गुने का अंतर है। यही हाल हरी धनिया का भी है। नासिक थोक बाजार में कीमतें जमीन पर हैं, जबकि उससे कुछ दूरी पर मुंबई खुदरा बाजार में कीमतें आसमान छू रही हैं। नासिक थोक मंडी में टमाटर डेढ़ से तीन रुपये किलो की बीच बिक रहा है और मुंबई में इसके भाव 30 से 35 रुपये तक हैं।
नासिक की पिंपलगांव मंडी में टमाटर बेचने गए किसानों को डेढ़ से तीन रुपये का भाव आफर किया गया। इस भाव में उनकी लागत यानि जिनता पैसा लगाकर उन्होंने खेती की थी, वो भी नहीं निकल रहा है। इस लागत में उनकी मेहनत को नहीं जोड़ा गया है। वाजिब कीमत नहीं मिलने से नाराज किसानों ने टमाटर मंडी के गेट पर और मुंबई-नासिक हाईवे पर फेंक दिया। इसी तरह नासिक मंडी में धनिया बेचने गए किसानों को दो से तीन रुपये प्रति गड्डी का भाव आफर किया गया। किसानों का कहना है कि इस भाव पर बेचने से बेहतर है फेंक दिया जाए। गौरतलब है कि मुंबई में जहां टमाटर 20-25 रुपये किलो बिक रहा है वहीं धनिया की धनिया की छोटी गड्डी 15 रुपये में बिकती है और बड़ी गड्डी 20 रुपये में। रिटेल मार्किट में सब्ज़िया बेच रहे दुकानदार का कहना है कि वाशी के एपीएमसी मार्केट से उन्हें टमाटर 13 रुपये प्रति किलो के हिसाब से मिलता है।
इसके बाद वाशी एपीएमसी मार्केट से ग्रांट रोड की सब्ज़ी मंडी लाने तक का पेट्रोल और मजदूरी का खर्चा और साथ ही साथ उनका मुनाफा जोड़कर ये टमाटर को 20 रुपये प्रति किलो में बेचा जाता है। दुकानदार भी यह मानते हैं कि किसानों को उनके हक का पैसा नहीं दिया जा रहा है। जाहिर है कि न किसान को उनका हक मिल रहा है और न ही दाम गिरने से कंज्यूमर को फायदा हो रहा है। सब्जियां खरीदने आए कंज्यूमर का भी यह मानना है कि उन्हें जिस दाम में सब्जियां बेची खरीदी जा रही है, वो बिल्कुल गलत है। लोगों का तो यह भी कहना है कि किसानों को उसकी मेहनत का सही दाम देने के लिए अगर टमाटर के दाम पांच रुपये बढ़ा भी दिए जाए तो भी उन्हें कोई अप्पति नहीं होगी।