आने वाले चार पांच सालों में बड़ी संख्या में भारतीय सेना में छंटनी की जा सकती है। थल सेना में बड़े स्तर पर की गई एक समीक्षा के बाद इस निष्कर्ष पर पहुंचा गया है कि सेना को अपना प्रभाव बढ़ाने और भविष्य की लड़ाइयों के लिए तैयारी रखनी चाहिए।
भारतीय सेना अगले चार से पांच सालों में 1,50,000 नौकरियों में कटौती कर सकती है। सेना के दो वरिष्ठ अधिकारियों ने एक विशेष बातचीत में यह बातें बताई हैं।
सेना में छंटनी को लेकर समीक्षा किए जाने का आदेश 21 जून को दिया गया था। जिसके बाद यह फैसला लिया गया है कि 12 लाख कि इस मजबूत सेना की विभिन्न इकाइयों में छंटनी की जाएगी। क्योंकि सेना के कई विभाग ऐसे हैं जहां एक ही पद पर कई-कई लोग तैनात हैं।
सेना में हो रही बड़ी संख्या में छंटनी की समीक्षा सैन्य सचिव लेफ्टिनेंट जनरल जेएस संधु की अध्यक्षता में 11 सदस्यों के पैनल ने की है। सेना की विभिन्न इकाइयों में काम कर रहे लोगों की यह समीक्षा इस महीने के अंत तक सेना प्रमुख बिपिन रावत के सामने पेश की जाएगी।
सेना के वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि कुछ ईकाइयों को एक साथ कर दिया जाएगा जिससे कि आने वाले दो वर्षों में 50,000 लोगों की भूमिका सेना से खत्म हो जाएगी। वहीं एक लाख लोगों की छंटनी 2022-23 में की जा सकती है। लेकिन यह सारी बातें अभी प्राथमिक अवस्था में हैं।
अधिकारी ने बताया कि यह पूरी छंटनी सिर्फ सेना में कनिष्ठ स्तर पर नहीं बल्कि सेना मुख्यालय में बैठे निदेशक स्तर से की जाएगी। जिसमें लॉजिस्टिक यूनिट, कम्यूनिकेशन, मरम्मत और दूसरे प्रशासन और सपोर्ट के क्षेत्रों से लोगों को हटाया जाएगा। वहीं सेना में हो रहे बड़े बदलावों को देखते हुए दूसरे अधिकारी ने कहा कि विभिन्न इकाइयों में सबकुछ बहुत धुंधला हो चुका है जिसकी वजह से एक ही स्तर पर या काम के लिए कई-कई लोग मौजूद हैं, यही नहीं अधिकारी ने यह भी बताया कि समय आ गया है कि इकाइयों में जांच की जाए और अगर जरूरत हुई तो इन्हें जोड़ा भी जाएगा जिससे सेना के खर्चों में बड़े स्तर पर कटौती भी संभव है।
सेना से सेवानृवित नॉर्दन कमांडर के लेफ्टिनेंट जनरल बीएस जसवाल ने कहा कि सेना के रसद विभाग के साथ-साथ कई इकाइयों की रिव्यू किए जाने की जरूरत है क्योंकि यहां बड़े स्तर पर दोहराव है जिसे ठीक किए जाने की जरूरत हैं। बता दें कि अगस्त 2017 में सरकार ने आर्मी में एक बड़े बदलाव की घोषणा की थी साथ ही 57000 सैनिकों को फिर से बहाल करने की बात कही थी। बड़े स्तर पर यह कटौती सेना में हो रहे अनियंत्रित खर्चों को नियंत्रित करने और सेना के लिए आधुनिक हथियार और उपकरणों के लिए अधिक से अधिक पैसा जुटाना और बजट बनाना इसका मकसद है।
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