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राम मंदिर: भागवत के आह्वान, अमित शाह का आक्रामक स्टैंड

नई दिल्ली: राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) चीफ मोहन भागवत ने विजयदशमी से एक दिन पहले अपने संबोधन में अयोध्या में मंदिर निर्माण का फिर से आह्वान किया। उन्होंने सरकार से यह भी कहा कि जरूरत हो तो इसके लिए कानून लाया जाए। उधर, बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह भी इस मुद्दे को लेकर खुलकर बयान दे रहे हैं। राम मंदिर पर कानून के लिए संतों ने अयोध्या में इकट्ठा होने का आह्वान किया है, जिससे यह मामला फिर से चर्चा में आ पिछले महीने अमित शाह ने कहा था कि उनकी इच्छा है कि राम मंदिर का निर्माण 2019 से शुरू जाए। हाल में उन्होंने कहा कि विवादित जमीन के मालिकाना हक के बारे में फैसला करते हुए इस बात को किनारे नहीं किया जा सकता कि भगवान राम के जन्मस्थल पर स्थित उनके मंदिर को गिराया गया है। शाह ने कहा कि हमें इस बात को नहीं भूलना चाहिए कि 600 साल पहले अयोध्या में राम मंदिर को गिराया गया था। बहुतों को ऐसा लग रहा है कि अयोध्या में संत समाज की मांगों का समर्थन कर संघ ने बीजेपी और केंद्र पर दबाव बढ़ा रहा है। उधर, शाह के अपने बयान इस ओर इशारा कर रहे हैं कि संभवतः पार्टी अपने विकास और कल्याण के अजेंडे के साथ इस सांस्कृति और पहचान के इस इशू को जोड़ फोकस में लाना चाहती है। हालांकि सुप्रीम कोर्ट में सरकार की बहसों के हिसाब से पता चलेगा कि केंद्र इस मामले में जल्दी फैसला चाहती है या नहीं। इस मामले में संघ और बीजेपी का अगला गेम प्लान इस बात को लेकर तैयारी का है क्योंकि कोई भी उग्र आंदोलन अभी केंद्र की सरकार को रास नहीं आएगा। अगर अयोध्या मामले में फैसला हिंदू पार्टियों के पक्ष में आता है तो चुनावों से पहले यह बीजेपी को उत्साहित करने वाला होगा। 2019 के आम चुनाव अप्रैल-मई में प्रस्तावित हैं। ऐसे में मोहन भागवत की तरफ से मंदिर पर कानून बनाने की इस मांग से एक बार फिर अयोध्या मसले पर अध्यादेश की संभावनाओं को लेकर बहस छिड़ गई है। अभी के हालात की बात करें तो बीजेपी राज्य सभा में भी सबसे बड़ी पार्टी है। हालांकि राम मंदिर पर अध्यादेश की कोशिश हुई तो शायद उसे ‘न्यूट्रल’ विपक्ष का भी साथ मोदी सरकार को नहीं मिल पाएगा।

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