म्यूचुअल फंड Vs इक्विटी: जाने गिरावटी दौर में कहां आपका निवेश ज्यादा सुरक्षित
नई दिल्ली: शेयर बाजार में लंबे समय से जोखिम बना हुआ है। 28 अगस्त के बाद से यानी पिछले 2 महीने में निवेशकों को बाजार में करीब 24 लाख करोड़ रुपये का नुकसान हो चुका है। इस दौरान बहुत से शेयरों में भी 50 से 60 फीसदी तक गिरावट आ चुकी है। जानकारों का मानना है कि बाजार में आगे भी जोखिम मौजूद रहेगा। ऐसे में क्या शेयर की बजाए म्यूचुअल फंड एक सुरक्षित विकल्प हो सकता है। जानें, कितना सुरक्षित है म्युचूअल फंड्स में निवेश करना….
MF में क्यों कम हो जाता है जोखिम
बाजार में जब जोखिम होता है तो जानकार एक की बजाए अलग—अलग शेयरों में निवेश करने की सलाह देते हैं, जिससे जोखिम कवर हो जाता है। लेकिन निवेशक के लिए आसान नहीं है कि वह खुद से अपने पोर्टफोलियो को डाइवर्सिफाई कर दे, ऐसे में म्यूचुअल फंड एक बेहतर विकल्प है। फाइनेंशियल एडवाइजर फर्म बीपीएन फिनकैप के डायरेक्टर एके निगम का कहना है कि म्यूचुअल फंड एक बजाए अलग—अलग शेयरों में रिसर्च करने के बाद निवेश करते हैं। ऐसे में अगर किसी एक शेयर में गिरावट होती है तो हो सकता है, दूसरे शेयर में उसकी भरपाई हो जाए। कुल मिलाकर इसमें जोखिम कम हो जाता है और निवेशक एक डिसेंट रिटर्न पा सकता है।
फंड मैनेजर की देखरेख में निवेश
किसी इनडिविजुअल के लिए स्टॉक को चुनना और उन्हें समय समय पर ट्रैक करना आसान नहीं होता है, वह भी तब जब शेयर बाजार में वोलैटिलिटी ज्यादा हो। ऐसे में म्यूचुअल फंड में फंड मैनेजर की विशेषज्ञता का लाभ मिलता है। फंड मैनेजक बकायदा रिसर्च के बाद यह तय करते हैं कि किन शेयरों में निवेश किया जाए, जिससे आपको बेहतर रिटर्न मिले।
कम रिस्क लेने वालों के लिए बेहतर
म्यूचुअल फंड और इक्विटी की हिस्ट्री देखें तो लंबी अवधि में किसी अच्छे म्यूचुअल फंड में एक डिसेंट रिटर्न मिलता है। वहीं, इक्विटी की बात करें तो इसमें छोटी अवधि में भी रिटर्न हाई भी हो सकता है, लेकिन बिगड़ें सेंटीमेंट पर अचानक से गिरावट भी बहुत बड़ी आ सकती है। ऐसे में सुरक्षित निवेश चाहने वालों के लिए म्यूचुअल फंड बेहतर विकल्प हो सकता है।
निवेश में खर्च कम
म्यूचुअल फंड में निवेश, इक्विटी में निवेश की बजाए सस्ता होता है। इक्विटी में ब्रोकरेज चार्ज, हाई ट्रेडिंग कास्ट व डीमैट अकाउंट के खर्च के चलते निवेश ज्यादा खर्चीला होता है। वहीं, सेबी ने म्युचुअल फंड में निवेश करने पर होने वाले कुल खर्च यानी मैक्सिमम टोटल एक्सपेंस रेश्यो (टीईआर) की कैपिंग कर दी है। 50 हजार करोड़ से ज्यादा संपत्ति वाले फंड हाउस के लिए टीईआर को 1.75 फीसदी से घटाकर 1.05 फीसदी कर दिया गया है। सेबी ने अग्रिम कमीशनों को रोक दिया है जो फंड डिस्ट्रीब्यूटर्स को निवेशकों को फंड में पैसा लगाने के लिए देते हैं।