चीन के नागरिकों को जापानी सैनिकों ने जिंदा जलाकर भी मारा था
बीजिंग। द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान जापान के सैनिकों ने चीन के आम लोगों को जिंदा जलाया था। इनमें महिलाएं और बच्चे भी शामिल थे। इस बात का इकरार खुद एक जापानी युद्ध अपराधी कियोशी शिमोसाका ने अपने इकरारनामे में किया है। उसने कई महिलाओं से दुष्कर्म की भी बात मानी है।चीन का अभिलेखागार विभाग जापानी युद्ध अपराधियों के 1954 में खुद के लिखे इकरारनामों की एक श्रृंखला जारी कर रहा है। कियोशी शिमोसाका का इकरारनाम इस श्रृंखला की नौवीं कड़ी है। शिमोसाका ने बताया कि उसकी जुल्म की दास्तान का ताल्लुक 194० से अगस्त 1945 के बीच का है। शिमोसाका ने बताया कि हुबेई प्रांत के शुशियान में उसने एक अन्य जापानी सैनिक के साथ मिलकर 3० साल की एक महिला और उसके दो बच्चों को जिंदा जलाकर मार डाला था। शिमोसाका ने 1954 में अपने इकरारनामे में लिखा था कि उसके साथी जापानी सैनिकों ने तीन चीनी नागरिकों को सिर्फ इसलिए मार दिया था क्योंकि वे देखना चाहते थे कि उनके हथियार कितने तेज हैं।उसने बताया कि साथियों के साथ मिलकर हुबेई के जिंगमन में उसने संगीनों के बल पर एक महिला से दुष्कर्म किया। एक अन्य ने पीछे से संगीन घोंप कर महिला को मार डाला।
शिमोसाका और उसके साथियों ने जियांगलिंग प्रांत में एक चौकी पर दो चीनी महिलाओं के साथ सामूहिक दुष्कर्म किया था। शिमोसाका ने लिखा है कि हुबेई प्रांत के यीचांग में मई 1943 में उसने 35 साल के एक चीनी का सिर कलम कर दिया था। सिर को तोड़ दिया गया था। उसके साथी ने मस्तिष्क का हिस्सा एक अन्य जापानी को देकर इससे दवा बनाने के लिए कहा था।