गृह मंत्रालय की ओर से देश की शीर्ष जांच एजेंसियां को सभी के कंप्यूटर पर नजर रखने की इजाजत दी है। वहीं अब इस मामले को लेकर एक नया खुलासा हुआ है। एक तरफ जहां मोदी सरकार की डाटा प्राइवेसी को लेकर आलोचना हो रही है तो अब आरटीआई की तरफ से एक लिस्ट जारी की गई है जिसमे यूपीए कार्यकाल के दौरान भी लोगों के डाटा पर नजर रखने की बात सामने आई है।
UPA कार्यकाल में हर महीने रखी गई 9 हजार फोन और मेल पर नजर
डाटा प्राइवेसी मामले को लेकर इन दिनों देश में काफी हलचल देखने को मिल रही है। वहीं अब जहां मोदी सरकार की डाटा प्राइवेसी को लेकर आलोचना हो रही है तो अब आरटीआई की तरफ से एक लिस्ट जारी की गई है जिसमे यूपीए कार्यकाल के दौरान भी लोगों के डाटा पर नजर रखने की बात सामने आई है। आरटीआई की तरफ से एक लिस्ट जारी की गई है जिसमे यूपीए कार्यकाल के दौरान भी लोगों के डाटा पर नजर रखने की बात सामने आई है।
IB, RAW CBI जैसी 10 एजेंसी शामिल
आपको बता दें कि केंद्र सरकार ने जिन सुरक्षा व खुफिया एंजेसियों को अधिकार दिया हैं, उनमें आईबी, रॉ, नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो, ईडी, केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड, राजस्व खुफिया निदेशालय, सीबीआई, दिल्ली पुलिस के आयुक्त, एनआईए और जम्मू-कश्मीर, पूर्वोत्तर तथा असम के सिगनल इंटेलीजेंस निदेशालय शामिल है। 10 एजेंसियो को कॉल या डेटा इंटरसेप्ट करने का अधिकार दिया गया। इसके लिए अब सुरक्षा एंजसियों किसी शख्स या संस्थान की जांच के लिए गृह मंत्रालय से मंजूरी नहीं लेनी पड़ेगी। इसके लिए नोटिफिकेशन जारी किया जायेगा। अब किसी के भी मोबाइल, लैपटॉप या कंप्यूटर आदि से जानकारी हासिल कर सकती हैं।
केंद्र सरकार ने दी कंपनियों को इजाजत
केंद्र सरकार ने कहा कि सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम के धारा 69 के तहत यदि एंजेंसियों को किसी भी संस्थान या व्यक्ति पर देशविरोधी गतिविधियों में शामिल होने का शक होता हैं तो वे उनके कंप्यूटरों में मौजूद डाटा को जांच सकती हैं और उस पर कार्रवाई भी कर सकती हैं। हाल के दिनों में कई ऐसे मामले सामने आए हैं, जिसमें देश के दुश्मन हनीट्रैप के जरिए सेना के अधिकारियों और संवेदनशील पदों पर बैंठे अधिकारी से खुफिया जानकारी हासिल कर लेते हैं।