सावधान! अब आपके पसर्नल चैट पर भी रहेगी सरकार की नजर
केंद्रीय गृह मंत्रालय ने 20 दिसंबर को एक आदेश जारी किया, इस आदेश के मुताबिक, देश की सुरक्षा और खुफिया एजेंसियों लोगों के निजी कंप्यूटरों में मौजूद डाटा पर नजर रख सकेंगी और बिना इजाजत जांच करने का भी उन्हें अधिकार होगा। सरकार के मुताबिक, सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम की धारा 69 के तहत अगर एजेंसियों को किसी भी संस्थान या व्यक्ति पर देशविरोधी गतिविधियों में शामिल होने का शक होता है तो वह उनके कंप्यूटरों में मौजूद सामग्रियों को जांच सकती हैं और उन पर कार्रवाई कर सकती हैं।
इंडियन एक्सप्रेस की एक रिपोर्ट के मुताबिक, यह सेक्शन देशभर में इस्तेमाल हो रहे सभी ऑनलाइन प्लेटफॉर्म पर लागू होगा। इस अधिनियम के लागू होने के बाद फेसबुक, ट्विटर, व्हाट्सऐप, शेयरचैट, गूगल, अमेजॉन और याहू जैसी कंपनियों को सरकार द्वारा पूछे गए किसी मैसेज के बारे में पूरी जानकारी देनी होगी। रिपोर्ट की मानें तो इस संबंध में एक बैठक भी हुई, जिसमें पांच पन्नों का रिपोर्ट पेश की गई।
इस बैठक में साइबर लॉ डिवीजन, सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय, गूगल, फेसबुक, व्हाट्सऐप, अमेजॉन, याहू, ट्विटर, शेयरचैट के प्रतिनिधी शामिल थे। इस अधिनियम के लागू होने के बाद किसी भी मामले पर सोशल मीडिया कंपनियों को सरकार को 72 घंटों के अंदर जानकारी देनी होगी। इसके लिए ये कंपनियां भारत में अपने नोडल अधिकारी को नियुक्त करेंगी। यहीं नहीं, कंपनियों को 180 दिनों की पूरी जानकारी भी रखनी होगी।
आपको बता दें कि केंद्र सरकार ने जिन सुरक्षा व खुफिया एंजेसियों को अधिकार दिया हैं, उनमें आईबी, रॉ, नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो, ईडी, केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड, राजस्व खुफिया निदेशालय, सीबीआई, दिल्ली पुलिस के आयुक्त, एनआईए और जम्मू-कश्मीर, पूर्वोत्तर तथा असम के सिगनल इंटेलीजेंस निदेशालय शामिल है। हाल के दिनों में कई ऐसे मामले सामने आए हैं, जिसमें देश के दुश्मन हनीट्रैप के जरिए सेना के अधिकारियों और संवेदनशील पदों पर बैंठे अधिकारी से खुफिया जानकारी हासिल कर लेते हैं।