दिल्ली मेट्रो में चोरी की घटनाओं को इस तरह अंजाम देती हैं महिलाएं
2017 के आंकड़े ने सीआईएसएफ को परेशान कर दिया था जिसके कंधों पर मेट्रो की सुरक्षा की जिम्मेदारी है। अधिकारियों ने ह्यूमन इंटेलिजेंस और सीसीटीवी कैमरों की मदद से संदिग्धों की पहचान करना शुरू कर दिया था और उन्हें परिसर में घुसने से मना कर दिया जाता था। सीआईएसएफ के वरिष्ठ अधिकारी के अनुसार 236 मेट्रो स्टेशन पर ज्यादा कर्मचारियों को तैनात किया गया और अतिरिक्त जवानों (महिला और पुरुष दोनों) को असुरक्षित स्थानों पर लगाया गया ताकि वह पॉकेटमारों को रंगे हाथ पकड़ा जा सके।
पुलिस को भी इसमें शामिल किया गया। जिसके चार कांस्टेबलों की विशेष टीम मेट्रो स्टेशन और इस गैंग की पसंदीदा जगहों पर नजर रखने का काम करते। सादी वर्दी में तैनात यह पुलिसवाले स्टेशन में इधर-उधर घूमते और पॉकेटमारों और झपटमारों पर नजर रखते। 2017 में 1,292 महिलाएं और 100 आदमी पकड़े गए वहीं 2018 में यह संख्या 470 और 28 है।
सीआईएसएफ और पुलिस अधिकारियों के अनुसार महिला पॉकेटमार ज्यादातर सेंट्रल दिल्ली से ट्रेन में चढ़ती हैं और आम तौर पर संचालन करती हैं। एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने कहा, ‘यात्रियों को किसी महिला के किसी भी तरह के असामान्य व्यवहार या कोई महिला जैसा दिख रहा है तो उसे लेकर सावधान रहना चाहिए। कई बार पुरुष महिलाओं के कपड़े पहनकर महिला कोच में सवार हो जाते हैं और उनके पास पुरुषों के मुकाबले ज्यादा कीमती सामान होता है।’
एक अधिकारी ने कहा पॉकेटमारी करने वाली महिलाएं अमूमन बच्चा लेकर चलती हैं या फिर समूह में चलती हैं। भीड़ का फायदा उठाकर एक महिला किसी बैग की चेन खोलती है। सही मौका मिलने पर दूसरी महिला कीमती सामान को निकाल लेती है और उसे समूह के दूसरे सदस्य को पास कर देती है। ऐसे में यदि किसी पीड़ित को समूह की किसी महिला पर शक होता है तो उसके पास से कुछ नहीं मिलता है।